मुंबई: भारतीय इतिहास के सबसे चमकदार सितारों में शामिल महाराजा छत्रपति शिवाजी पर इस वर्ष एक उपन्यास शृंखला प्रकाशित होने जा रही है। मराठी के शीर्षस्थ उपन्यासकारों में से एक विश्वास पाटील ‘शिवाजीः महासम्राट’ नाम की यह श्रृंखला लिख रहे हैं। इसका पहला खंड जल्द ही मराठी में प्रकाशित होने जा रहा है, जबकि दूसरा खंड कुछ महीनों के अंतराल के बाद प्रकाशित होगा। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित विश्वास पाटील ने लंबे और विस्तृत शोध के बाद इस उपन्यास शृंखला को लिखने का बीड़ा उठाया है। मराठी के बाद ‘शिवाजीः महासम्राट’ शृंखला हिंदी में भी प्रकाशित होने की खबर है।
पाटील पिछले कुछ वर्षों से शिवाजी के जीवन पर शोध कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने आगरा, तमिलनाडु, कर्नाटक से लेकर पूरे महाराष्ट्र में शिवाजी के 240 किलों की यात्रा की। इस उपन्यास शृंखला में उनका यह विस्तृत शोध, अभी तक अनदेखे–अप्रकाशित तथ्य, शिवाजी के प्रति विश्वसनीय और नए दृष्टिकोण के साथ सामने आएगा। ‘शिवाजीः महासम्राट’ का पहला खंड ‘झंझावात’ (द वर्लविंड) 450 पृष्ठों का है जबकि दूसरा ‘रणखैंदल’ (ग्रिम बैटलफील्ड) लगभग 500 पृष्ठों का। इनके बाद यह उपन्यास श्रृंखला और आगे बढ़ेगी। मराठी में मेहता पब्लिशिंग हाउस इसे प्रकाशित कर रहा है। हिंदी में राजकमल प्रकाशन से इस सीरीज के आने की खबर है।
अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच हुई पानीपत की तीसरी लड़ाई पर ‘पानीपत’ और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर आधारित ‘महानायक’ जैसे वृहद उपन्यासों के लेखक पाटील ‘शिवाजीः महासम्राट’ में इस महान मराठा योद्धा और शासक की जीवन तथा शौर्यगाथा लिख रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव 1991 में ‘पानीपत’ पढ़कर इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने भारतीय ज्ञानपीठ से इसे हिंदी में तत्काल अनुदित करा के प्रकाशित करने का अनुरोध किया था। उन दिनों राव भारतीय ज्ञानपीठ के अध्यक्ष थे। मूल रूप से मराठी में लिखने वाले पाटील के उपन्यासों का कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद होता रहा है। ‘पानीपत’ और ‘महानायक’ के हिंदी–अंग्रेजी समेत कई भारतीय भाषाओं में कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। बंग्ला के प्रसिद्ध साहित्यकार सुनील गंगोपाध्याय ने ‘देश’ पत्रिका में पाटील के ‘महानायक’ पर विशेष आलेख लिखा था। वह हमेशा इसे अपने पसंदीदा उपन्यासों की श्रेणी में रखते रहे। मात्र 32 वर्ष की आयु में विश्वास पाटील को उनके उपन्यास ‘झाड़ाझड़ती’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। यह बांध निर्माण से प्रभावित होने वाले लोगों की दुर्दशा बयान करता है। हाल में विश्वास पाटील को असम के प्रतिष्ठित इंदिरा गोस्वामी नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया है। (वि)
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