जयपुर: “राजस्थान महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान, महाराज सूरजमल और सवाई जय सिंह जैसे शूरवीरों की भूमि है. ये वीर नायक युवा पीढ़ी के लिए सेना में शामिल होने के लिए प्रेरणा हैं. यह नया सैनिक स्कूल उन्हें अपनी मातृभूमि की सेवा करने की सटीक दिशा प्रदान करेगा.” रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जयपुर में सैनिक स्कूल का औपचारिक उद्घाटन करते हुए यह बात कही. उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि यह स्कूल राज्य के देशभक्त युवाओं के लिए वरदान साबित होगा, क्योंकि उन्हें सशस्त्र बलों में शामिल होने और देश की सेवा करने के लिए उचित मार्गदर्शन व आवश्यक बुनियादी ढांचागत सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. याद रहे कि रक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और निजी स्कूलों के सहयोग से इन 100 स्कूलों में से 45 स्कूलों को मंजूरी दे दी है. इनमें से चालीस स्कूलों में पढ़ाई बाकायदा शुरू हो गई है, और सैनिक स्कूल, जयपुर उनमें से एक है. रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि पीपीपी माडल को आमतौर पर ‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी‘ के रूप में माना जाता है, लेकिन अब यह सहयोग अपनी मानक परिभाषा से परे हट रहा है और इसे अब ‘निजी-सार्वजनिक भागीदारी‘ के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र अब देश की अर्थव्यवस्था में चालक की भूमिका में है, जो कृषि, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में व्यापक योगदान दे रहा है. इन नए सैनिक स्कूलों के माध्यम से निजी और सार्वजनिक क्षेत्र एकजुट होंगे तथा हमारी भावी पीढ़ियों को सर्वोत्तम शिक्षा प्रदान करेंगे.‘इन स्कूलों के पाठ्यक्रम में मूल्य-आधारित पहल शामिल हैं जैसे कि महिला-पुरुष समानता और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर बहस, कौशल-आधारित प्रशिक्षण, पाठ्येतर कार्यकलापों, सामुदायिक सेवा, शारीरिक प्रशिक्षण, एनसीसी, पर्यटन और भ्रमण और प्रेरक वार्ता शामिल हैं. अकादमिक प्लस पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों का समग्र विकास सुनिश्चित करना है ताकि उन्हें राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने वाला सदस्य बनाया जा सके.
शिक्षा को राष्ट्र के विकास में सबसे अहम बताते हुए रक्षा मंत्री ने बच्चों का शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास सुनिश्चित करने की दिशा में सैनिक स्कूलों द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर विशेष प्रकाश डाला, जिससे कि एक मजबूत भावी पीढ़ी तैयार हो सके. उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि सैनिक स्कूल न केवल शैक्षणिक ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें अनुशासन, देशभक्ति और साहस का पाठ भी पढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास उन्हें राष्ट्र को आगे ले जाने के लिए प्रेरित करता है. सिंह ने इस तथ्य का उल्लेख किया कि वर्तमान थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नौसेनाध्यक्ष एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी सैनिक स्कूल, रीवा के प्रतिभाशाली विद्यार्थी रहे हैं. उन्होंने कहा कि सैनिक स्कूलों के विद्यार्थी न केवल सशस्त्र बलों में बल्कि किसी भी अन्य क्षेत्र में अपना करियर चुन सकते हैं और अपने तरीके से देश की सेवा कर सकते हैं. उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे कभी भी हार न मानें तथा अपने इच्छित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर कड़ी मेहनत करते रहें. साझेदारी मोड में 100 नए सैनिक स्कूल पूर्ववर्ती पैटर्न के तहत पहले से ही चल रहे मौजूदा 33 सैनिक स्कूलों के अलावा हैं. ये नए स्कूल संबंधित शिक्षा बोर्ड से संबद्ध होने के अलावा सैनिक स्कूल सोसायटी के तत्वावधान में काम करेंगे और इसके नियम-कायदों का पालन करेंगे. ये नए स्कूल अपने नियमित संबद्ध बोर्ड पाठ्यक्रम के अलावा सैनिक स्कूल पैटर्न के छात्रों को अकादमिक प्लस पाठ्यक्रम की शिक्षा प्रदान करेंगे. इस स्कूल के उद्घाटन के अवसर पर राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और राजस्थान सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री सेवानिवृत्त कर्नल राज्यवर्धन राठौर सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.