लंदन: वातायन-वैश्विक संगोष्ठी में नासिरा शर्मा के बाल कहानी संग्रह 'रंगीन परों वाला सपना' का वर्चुअल विमोचन हुआ. वातायन-यूके द्वारा आयोजित पुस्तक लोकार्पण गोष्ठी की अध्यक्षता दिविक रमेश ने की. लेखिका नासिरा शर्मा के अलावा वनिका पब्लिकेशन की निदेशक नीरज शर्मा, पूर्णिमा वर्मन, सुहानी यादव, वातायन की संस्थापक दिव्या माथुर, डॉ पद्मेश गुप्त, ऋचा जैन के अलावा विश्व भर से लेखक, विद्वान श्रोता और मीडियाकर्मी इस आयोजन से जुड़े थे. प्रकाशक नीरज शर्मा ने कहा कि बाल साहित्य रचने वाले लेखक को बालमनोविज्ञान की जानकारी होना ज़रूरी है. गुरुदेव रबिन्द्रनाथ ठाकुर के कथन कि 'ठीक से देखने पर बच्चों से ज्यादा पुराना कोई नहीं दिखता' को याद करते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को यथार्थ और सत्य सिखाने के लिए भारी-भरकम, आदर्शवादी लेखन न होकर कोमल मन का साहित्य ज्यादा कारगर सिद्ध होगा. 'रंगीन परों वाला सपना' की कहानियां ऐसी ही हैं. सुहानी ने कृति की शीर्ष कहानी 'रंगीन परों वाला सपना' का पाठ किया. पूर्णिमा वर्मन ने कहा कि इस संकलन की कहानियां उपदेशात्मक न होकर बेहद सरल मन की हैं.
मुख्य वक्ता दिविक रमेश ने लेखिका की महीन दृष्टि और करुणापूर्ण हृदय की तारीफ़ करते हुए कहा कि नासिरा शर्मा का जुड़ाव मनुष्यों से ही नहीं अपितु प्रकृति से भी घना है. इस संग्रह की कहानियां पढ़ते हुए लेखिका के व्यापक अनुभव की आहट सभी को मिलेगी. उन्होंने संग्रह की कई कहानियों के अंश भी पढ़े. लेखिका नासिरा शर्मा ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया और बताया कि उन्होंने कहानी लेखन की शुरुआत बाल कहानी लेखन से ही की. बच्चों के प्रति मेरा लगाव मेरी कहानियों में परिलक्षित होता है. संग्रह से जुड़ी भावनाओं को मैंने 'सुनो बच्चो!' शीर्षक में दिल से लिखा है. उन्होंने 'जंगल जलेबी का स्वाद' का जिक्र किया कि इसे चखकर सभी देखें ताकि उनके अभिमत को समझ सकें. संचालक ऋचा जैन ने 'आपका सबका साथ हमारा सम्बल है' कहते हुए आभार व्यक्त किया. संगोष्ठी में प्रो टोमियो मिज़ोकामी, डॉ अरुण अजितसरिया, डॉ केके श्रीवास्तव, डॉ शिव पाण्डेय, विवेक मणि, डॉ मनोज मोक्षेन्द्र, डॉ लुदमिला खोखोलवा, कल्पना मनोरमा, शैल अग्रवाल, तितिक्षा शाह, अर्पणासंत सिंह, आराधना श्रीवास्तव, डॉ सुषमा देवी, कैलाश बाजपेयी, सरिता पाण्डेय, आदेस गोयल, डॉ प्रभा मिश्रा, कादम्बरी, डॉ जय शंकर यादव, डॉ शैलजा सक्सेना, डॉ वरुण कुमार, डॉ फ़िरोज़ ख़ान, विजय नागरकर, जय वर्मा, अरुण सब्बरवाल, शन्नो अग्रवाल, आस्था देव, दुर्गा प्रसाद, क्षमा पांडे आदि उपस्थित थे.
( प्रस्तुति: कल्पना मनोरमा )