वाणी प्रकाशन ग्रुप के चैयरमैन व प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा कि तीन वर्ष से स्थगित पत्रिका वाक् का पुनर्प्रकाशन आगामी जुलाई 23 से किया जाएगा। ‘वाक्‘ साहित्य की त्रैमासिक पत्रिका के प्रधान संपादक का दायित्व प्रख्यात आलोचक और दिल्ली विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रो. गोपेश्वर सिंह को सौंपा जा रहा है। यह जानकारी उन्होंने एक पत्रकार वार्ता के दौरान दी।
अरुण माहेश्वरी ने बताया कि ‘वाक्‘ पत्रिका की शुरुआत प्रख्यात समीक्षक, स्तम्भकार, मीडिया विशेषज्ञ प्रो. सुधीश पचौरी के सम्पादन में की गयी थी। सुधीश पचौरी के संपादन में वाक् के कुल 31 अंक प्रकाशित हुए जिसके बाद पत्रिका का प्रकाशन स्थगित हो गया था। ‘वाक्‘ के प्रकाशित अंकों को हिंदीभाषी समाज के पाठकों और लेखकों द्वारा खूब सराहा गया। ‘वाक्‘ हिंदी आलोचना के लिए पहले से ही समर्पित रहा है। उम्मीद है कि प्रो. गोपेश्वर सिंह जी के कुशल संपादन में ‘वाक्‘ नयी ऊँचाई पर पहुंचेगा और बौद्धिकता के नये प्रतिमान के साथ-साथ स्वस्थ आलोचना को बढ़ावा देगा।
पत्रकार वार्ता के दौरान वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी गोयल ने जानकारी दी कि वाक् पत्रिका अब नए कलेवर में प्रकाशित होगी। प्रो. गोपेश्वर सिंह हिन्दी आलोचना के शीर्ष व्यक्तित्त्वों में से एक हैं। वे एक लंबे अरसे तक अध्यापन से संबद्ध रहे हैं। आलोचक गोपेश्वर सिंह ने कहा, “सम्पादक के रूप में मेरी कोशिश होगी कि वाक् संवाद का खुला मंच बने।” उन्होंने यह भी कहा कि पुनर्नवा प्रथम अंक ‘आलोचना नई चाल में ढली‘ थीम पर केन्द्रित होगा।
वाक् की टीम में भाषा सम्पादक डॉ. हेमन्त कुमार हिमांशु, हिंदी विभाग, शहीद भगत सिंह कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) सह-सम्पादक अशोक मिश्र व सम्पादन सहयोग युवा आलोचक दिनेश कुमार और अदिति माहेश्वरी-गोयल का होगा। पत्रिका के सह संपादक कथाकार संपादक अशोक मिश्र पूर्व में ‘बहुवचन‘ व ‘पुस्तक वार्ता‘, “हिंदी समय वेबसाइट” के संपादक रह चुके हैं। अशोक मिश्र ने कहा – “वाक् का पुनर्प्रकाशन एक सुखद ख़बर है। रचनात्मक लेखन के मूल्यांकन और महत्त्वपूर्ण पुस्तकों को रेखांकित करने की दिशा में वाक महत्त्वपूर्ण कार्य करेगी। प्रो. गोपेश्वर सिंह के सम्पादन में प्रकाशित होने जा रहा वाक् के लिए शुभकामनाएँ।“