नई दिल्ली: वसंत ऋतु संगीतकारों के लिए ऐसा मौसम है जिसमें खुशहाली का संदेश मिलता है। चारों तरफ फूल खिलने लगते हैं, आम के बौर लगने लगते हैं, कोयल भी कूकने लगती है, ऐसे माहौल में विद्वानों की कलम भी झूम कर चलती है। बनारस घराने के दिग्गज शास्त्रीय गायक पंडित साजन मिश्रा ने दैनिक जागरण हिंदी हैं हम के वंसतोत्सव में नृत्यांगना शिंजनी कुलकर्णी के साथ संवाद में ये बातें कहीं। आरंभिक सत्र में पंडित साजन मिश्रा और स्वरांश ने अपने गायन के केंद्र में भी वसंत को ही रखा। वसंतोत्सव के अगले चार सत्रों में सभी गायकों से कला मर्मज्ञ यतीन्द्र मिश्र ने संवाद किया । गायिका विद्या शाह ने दक्षिण भारत में वसंत की परंपरा के बारे में बताया और कलाकारों और रागों के बीच के रिश्ते पर भी प्रकाश डाला। विद्या ने वसंत से जुड़े गीत भी सुनाए। पूरे कार्यक्रम का संचालन अपरा कुच्छल ने किया।

पद्मभूषण से सम्मानित लोकगायिका शारदा सिन्हा ने अपने संवाद में पंडित बिरजू महराज को याद करते हुए बताया कि वो बचपन में नृत्य सीखा करती थीं। उन्होंने महाराज जी की याद में मणिपुरी नृत्य के बोल गाकर सुनाए । इस गीत में कृष्ण की चाल को बताया गया है। इसके अलावा शारदा सिन्हा ने मैथिली के गीतों को गाकर वंसत की महत्ता को रेखांकित किया। शारदा सिन्हा के बाद के सत्र में बनारस घराने की गायिका सुनंदा शर्मा ने अपनी गायकी से दर्शकों का मन मोह लिया। उन्होंने हिंदी गीतों में वसंत के रागों और परंपरा पर बात करते हुए अपनी गुरु गिरिजा देवी को याद किया। वसंतोत्सव का अगला सत्र लोकप्रिय लोक गायिका मालिनी अवस्थी का था। मालिनी अवस्थी ने वसंत ऋतु से जुड़ी अनेक रोचक बातें और रागों के बारे में चर्चा की। मालिनी अवस्थी ने भारत की गायकी की परंपरा को भी रेखांकित किया। दैनिक जागरण और प्रभा खेतान फाउंडेशन के संयुक्त आयोजन वसंतोत्सव का समापन सत्र मशहूर नर्तकी डोना गांगुली की नृत्य प्रस्तुति से हुआ। वसंत के गीतों और रागों के बीच अहसास वूमन ने प्रख्यात कवियों की वसंत पर लिखी कविताओं का पाठ किया। प्रभा खेतान फाउंडेशन से जुड़ी अहसास वूमन अलग-अलग शहरों में संस्कृति को मजबूत करने का काम करती हैं। देहरादून की पूजा मारवाह ने सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता तो बिलासपुर की गरिमा तिवारी ने हरिवंश राय बच्चन की कविता का पाठ किया। लखनऊ की कनक रेखा चौहान ने गोपाल दास नीरज की कविता गाकर सुनाई। भुवनेश्वर की वेदुला रामलक्ष्मी ने केदारनाथ अग्रवाल की कविता का पाठ किया। पटना की अन्विता प्रधान ने हफीज जलंधरी की कविता लो फिर वसंत आई का पाठ किया। वसंत का उत्सव हो और सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता न पढ़ी जाए ये कम होता है। वसंतोत्सव में भी लखनऊ की दीपा मिश्रा ने वीरों का कैसा हो वसंत सुनाई। गौरतलब है कि हिंदी हैं हम दैनिक जागरण का अपनी भाषा को समृद्ध करने का उपक्रम है।