नई दिल्ली: “लचित बोरफुकन की बहादुरी, अदम्य शक्ति, साहस और वीरता की कहानी हमारे देश, विशेष रूप से युवाओं को प्रेरित करती है. सराईघाट के ऐतिहासिक नौसैनिक युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व और रणनीतिक प्रतिभा ने उन्हें एक नायक के रूप में अमर कर दिया, जिन्होंने शक्तिशाली मुगल सेनाओं से असम की रक्षा की.” केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने महान अहोम सैन्य कमांडर लचित बोरफुकन की 402वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि लचित बोरफुकन के नेतृत्व में असम की सेना ने केवल असम के अस्तित्व को ही नहीं बल्कि उसके भविष्य को भी सुरक्षित रखा. लचित बोरफुकन की देशभक्ति, निष्ठा और अपने राष्ट्र के प्रति अद्वितीय प्रतिबद्धता सभी भारतीयों को प्रेरणा देती है. उनकी विरासत हमें देश के प्रति आत्मनिर्भरता, साहस और अटूट समर्पण के महत्व की याद दिलाती है. जैसा कि हम उनकी स्मृति का सम्मान करते हैं, आइए हम उसी भावना को मूर्त रूप देते हुए एक मजबूत, समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की कोशिश करें जो उन्होंने हमारी भूमि और विरासत की रक्षा में प्रदर्शित की थी. लचित बोरफुकन का नेशन फर्स्ट‘ सिद्धांत पीढ़ियों, विशेष रूप से युवाओं को प्रेरित करता है. सोनोवाल ने कहा कि सरायघाट की लड़ाई ब्रह्मपुत्र नदी पर लड़ी गई सबसे बड़ी नौसैनिक लड़ाइयों में से एक है. यहीं पर लाचित बोरफुकन ने युद्ध के मैदान में अंतर्देशीय जलमार्गों के रणनीतिक महत्व की पहचान की. लचित की दूरदृष्टि से प्रेरित होकर, हमने देश के जलमार्गों को मजबूत करने और अपने राज्य को सशक्त बनाने के लिए ब्रह्मपुत्र की क्षमता का दोहन करने के लिए कदम उठाए हैं. सराईघाट की लड़ाई अस्तित्व की लड़ाई थी, असमिया राष्ट्र की गरिमा और आत्मसम्मान को बनाए रखने की लड़ाई थी.
केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने कहा कि भारत पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए दृढ़ संकल्पित मुगलों को लचित बोरफुकन की ओर से विकट चुनौती का सामना करना पड़ा. उनकी प्रतिभा और साहस ने न केवल मुगलों की महत्वाकांक्षाओं को विफल किया बल्कि शक्तिशाली मुगल साम्राज्य की कमजोरियों को भी उजागर किया. मातृभूमि के लिए उनका अटूट समर्पण और सम्मान पीढ़ियों को प्रेरित करता है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा, “लचित बोरफुकन भारत के सबसे महान सेनापति हैं, जिन्होंने शक्तिशाली मुगलों को हराया, जिससे देश में मुगल शक्ति के पतन की शुरुआत हुई. लचित बोरफुकन के अधीन अहोमों से पहले कोई भी मुगल की घुड़सवार सेना या मारक क्षमता को हरा नहीं सकता था या मात नहीं दे सकता था. लेकिन, बड़ी तोपों से लैस मुगल जहाजों को हराने के लिए फुर्तीला अहोम नौसेना को तैयार करने में लचित बोरफुकन की सैन्य प्रतिभा ने दुनिया में नदी पर लड़े गए सबसे महान नौसैनिक युद्ध में से एक की पटकथा लिखी. सरायघाट में मुगलों को बुरी तरह से हराया, मुगलों ने अपनी बढ़त खो दी, और इसके कारण उन्हें मराठा नौसेना द्वारा नष्ट कर दिया गया. हमारा इतिहास हमेशा पानी के योगदान का जश्न नहीं मनाता था. भारत के इतिहास को आकार देने में नौसेना की भूमिका का जश्न मनाना चाहिए. इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार गुप्त काल की प्रतिकृति जहाज का पुननिर्माण कर रही है. यह न केवल पानी पर भारत की सर्वोच्चता के हमारे दृष्टिकोण को उजागर करेगा, बल्कि हमें भारत की शानदार समुद्री विरासत की शक्ति को समझने में भी मदद करेगा.