नई दिल्ली: “राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन भारत को ज्ञान की महाशक्ति बनाने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान और समावेशी पहुंच को सक्षम बनाने की कुंजी है. यह नीति मातृभाषा और सभी भारतीय भाषाओं में शिक्षा के महत्त्व पर जोर देती है. इसकी मूल भावना शिक्षा में पहुंच, समानता, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही को सुनिश्चित करना है.” यह बात केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की समीक्षा बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि भारत एक युवा देश है और हमारी चुनौती 21वीं सदी की दुनिया के लिए वैश्विक नागरिक तैयार करना है, जो तेजी से बदल रही हैं. यह सदी प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित हो रही है. उन्होंने कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि एक ऐसी शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित की जाए जो जमीनी और आधुनिक दोनों ही हो. उन्होंने समग्र दृष्टिकोण के साथ स्कूलों में प्रौद्योगिकी तत्परता और छात्रों के बीच महत्त्वपूर्ण सोच सुनिश्चित करने के महत्त्व पर भी जोर दिया.
इस अवसर पर प्रधान ने पूरे देश में स्कूली शिक्षा के समग्र विकास के लिए अगले पांच वर्षों के रोडमैप के बारे में अपने विचार साझा किए. उन्होंने अनुरोध किया कि राज्यों और केंद्र दोनों को ही शिक्षा इकोसिस्टम को मजबूत बनाने के साथ-साथ सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों से सर्वोत्तम प्रथाओं को दोहराने और उन्हें बढ़ाने के लिए एक टीम के रूप में काम करना चाहिए. उन्होंने राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के सभी हितधारकों से क्षमताओं को मजबूत करने, एक सहयोगी शिक्षा प्रणाली का निर्माण करने और विकसित भारत के प्रमुख स्तंभ के रूप में शिक्षा का लाभ उठाने के लिए एकजुट होकर काम करने का भी आह्वान किया. प्रधान ने स्कूल शिक्षकों के साथ अपने भावनात्मक जुड़ाव और हमारे शैक्षिक इकोसिस्टम को और अधिक जीवंत बनाने में शिक्षकों की क्षमता निर्माण के महत्त्व के बारे में भी बात की. योग्यता आधारित शिक्षा के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हमें रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए अपनी कौशल क्षमताओं को भी बढ़ाना चाहिए. बैठक में शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने भी उपस्थित जनों को संबोधित किया. शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार; अपर सचिव विपिन कुमार एवं आनंदराव वी पाटिल; मंत्रालय के अन्य अधिकारी, कई राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिव, सचिव एवं एसपीडी, निदेशक, एनसीईआरटी, एससीईआरटी, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, सीबीएसई आदि के प्रमुखों और प्रतिनिधियों ने भी इस बैठक में भाग लिया.