नई दिल्लीः अयोध्या शोध संस्थान, भारतीय जनसंचार संस्थान एवं भोजपुरी संगम के संयुक्त तत्वावधान में 'प्रवासी देशों में राम' विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में एक बात स्पष्ट तौर पर सामने आई कि श्री राम भारतीय लोकजीवन और संस्कृति के केंद्र बिंदु हैं. विद्वानों ने उनके सर्वव्यापी स्वरूप को जन आस्था से ऊपर उठकर देखा. संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो संजय द्विवेदी ने मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान की 'भगवान राम भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधि हैं' से आगे बढ़ते हुए कहा कि श्रीराम धर्म के साक्षात् स्वरूप हैं. अगर आपको धर्म के किसी अंग को देखना है, तो राम का जीवन देखिये. आपको धर्म की असली पहचान हो जाएगी. उन्होंने कहा कि राम उत्तर में जन्मे और दक्षिण में उन्होंने धर्म की पताका फहराई. राम पूरे देश में समाए हुए हैं, क्योंकि राम लोगों को जोड़ते हैं. प्रो द्विवेदी के अनुसार राम का होना मर्यादाओं का होना है. राम आदर्श पुत्र, भाई और न्यायप्रिय नायक हैं. भारतीय जनमानस में राम का महत्त्व केवल इसलिए नहीं है कि उन्होंने जीवन में इतनी मुश्किलें झेलीं, बल्कि उनका महत्त्व इसलिए भी है, क्योंकि उन्होंने उन तमाम कठिनाइयों का सामना बहुत ही सहजता से किया. उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता है, क्योंकि अपने सबसे मुश्किल क्षणों में भी उन्होंने स्वयं को बेहद गरिमापूर्ण रखा.
लाइफ कोच एवं उत्कर्ष अकादमी कानपुर के निदेशक डॉ प्रदीप दीक्षित का कहना था कि प्रवासी देशों में भारतवंशियों को संबल देने का काम राम ने किया है. आज विश्व के 60 देशों में रामकथा एवं 24 देशों में रामलीला का आयोजन किया जाता है. राम विश्व में भारतीयता के ब्रांड एंबेसडर हैं. इस अवसर पर भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन, मॉरीशस गणराज्य की चेयरमैन डॉ सरिता बुधु ने कहा कि मॉरीशस को रामायण का देश कहा जाता है. बहुत पहले मजदूर अपने साथ रामायण लेकर मॉरीशस गए थे. तब से वहां हर चीज में रामायण का पाठ किया जाता है. उन्होंने कहा कि मॉरीशस में रामायण को श्रद्धा का ग्रंथ और भगवान राम को प्रेरक पुरुष माना जाता है. संगोष्ठी के प्रथम सत्र की अध्यक्षता एनसीईआरटी के प्रो. प्रमोद दुबे ने की एवं उत्तर प्रदेश के अपर श्रमायुक्त बीके राय विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए. मानव सेवा समिति, मॉरीशस के अध्यक्ष प्रेमचंद बुझावन ने मुख्य वक्ता के तौर पर इस सत्र में हिस्सा लिया. कार्यक्रम का संचालन विजय बहादुर सिंह ने किया एवं स्वागत भाषण डॉ विवेक दीक्षित ने दिया. इस संगोष्ठी के एक सत्र में श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश मंदिर, दिल्ली के अध्यक्ष अमोघ लीला दास ने कहा कि राम अपने व्यवहार से पूरी दुनिया को संदेश देते हैं. राम सब पर कृपा करते हैं. वे किसी से भेदभाव नहीं करते. राम शबरी के जुठे बेर भी खाते हैं और निषाद को गले लगाकर उन्हें अपना भाई भी बनाते हैं. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल का कहना था कि मानव का कल्याण उसकी मानवता पर ही निर्भर होता है. लेकिन समाज आज इससे भटक रहा है कि मानवता क्या है. उसे याद कराने का सबसे बेहतर माध्यम रामकथा ही है.
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