कोरिया: छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र में साहित्य, संस्कृति, कला और संगीत के साथ पौराणिकता के संगम का यह एक अनोखा कार्यक्रम था. साहित्य महोत्सव ‘कोसम‘ के दूसरे दिन श्री रामचरित मानस पर परिचर्चा सत्र आयोजित हुआ. इस परिचर्चा में जानेमाने शिक्षाविद, सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो भागवत प्रसाद दुबे ने कहा कि भगवान श्री राम हमारे जीवन का आधार हैं. तुलसीदास की कालजयी रचना रामचरित मानस ने प्रत्येक युग में भारतीय जीवनशैली को दिशा प्रदान की है. आलोचनाओं के परे हमें समाज को सुगठित करने के लिए रामचरित मानस का मार्गदर्शन लेने और उसका अनुसरण करने की जरूरत है. पूर्व आयुक्त डा संजय अलंग ने छत्तीसगढ़ के इतिहास और इसकी भौगोलिक स्थिति पर इसके गठन से लेकर अब तक के परिदृश्य पर अपनी जानकारी साझा की. उन्होंने कहा कि कोसम ने अपने दूसरे ही वर्ष आयोजन के स्तर को समृद्ध किया है.
इस दौरान ‘मीडिया और वेब मीडिया‘ विषय पर भी एक परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया. जिसमें वरिष्ठ पत्रकारों ने मीडिया की सहभागिता, जिम्मेदारियों और चुनौतियों पर विस्तार से अपने विचार रखे. इसके बाद रंगमंच के कलाकारों ने अपनी नाट्य प्रस्तुति दी. कार्यक्रम में बेहतरीन ददरिया नृत्य भी प्रस्तुत किया गया. इस नृत्य प्रस्तुति में प्रदेश के कुल 72 साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया. साहित्य महोत्सव में प्रांत के अनेक साहित्यकारों, रचनाधर्मियों, युवा कलमकारों के साथ ही प्रतिभावान कलाकारों ने भी अपनी सहभागिता दी. आयोजन के अंतिम सत्र में युवा साहित्यकार गौरव अग्रवाल को आरोही सम्मान, डा सुनीता मिश्रा को विदुषी सम्मान और आजीवन साहित्य सेवा के लिए मनेन्द्रगढ़ के हस्ताक्षर रचनाकार बीरेन्द्र श्रीवास्तव को वागीश सम्मान प्रदान किया गया.