नई दिल्ली: राजधानी के एलियांस फ्रांसेज में कलाकार, कवि और राजनयिक अभय कुमार के चित्रों की एक प्रदर्शनी ‘शून्यता‘ शीर्षक से लगी है. प्रदर्शनी का शुभारंभ ब्राजील के राजदूत केनेथ नोरबेगा, दक्षिण कोरिया के प्रभारी सांग वू लिम और कई देशों के राजनयिकों की उपस्थिति में तीन सितंबर को शुरू हुआ. उद्घाटन समारोह में विभिन्न विधाओं के कलाकार, लेखक, फिल्म निर्माता, कला समीक्षक और क्यूरेटर सहित अन्य लोग शामिल हुए. इस प्रदर्शनी को चार सितंबर से दस सितंबर तक देखा जा सकता है. प्रदर्शनी ‘रिक्तता‘ या बौद्ध दर्शन के अंदर व्याख्यायित ‘शून्यता‘ की खोज करती है, जिसमें दुख और संसार, जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति के लिए शून्यता को समझना महत्त्वपूर्ण हो जाता है. प्रदर्शनी के बारे में अभय के ने कहा, “जब मैंने खाली कैनवास को देखा, तो मुझे कोई अंदाजा नहीं था कि मैं क्या पेंट करने जा रहा हूं. पर हर बार कैनवास पर जब कोई नया रूप आकार लेता था, तो मैं मंत्रमुग्ध हो जाता था. मैं इस प्रक्रिया का आनंद लेने लगा.”
अभय ने कहा, “ये पेंटिंग शून्यता के दृश्य हैं. जब कोई उन्हें करीब से देखता है तभी इसमें रूप दिखाई देते हैं लेकिन जब कोई उनसे दूर जाता है, तो रूप गायब हो जाते हैं और जो बचता है वह शून्यता है, जो हृदय सूत्र के मूल को सही साबित करता है. अर्थात ‘रूप शून्यता है, शून्यता रूप है.‘ जो रूप दिखाई देते हैं वे परिचित और अपरिचित आकृतियों, देवी-देवताओं, नश्वर और अमर, पौधों और जानवरों के अनुमान मात्र हैं. वे सभी क्षणभंगुर हैं. वे दिखाई देते हैं और फिर गायब हो जाते हैं. शून्यता बनी रहती है.” याद रहे कि इसी वर्ष जून में अभय के ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में अपने निजी संग्रह से 66 समकालीन रूसी कलाकारों की 101 कृतियों को प्रदर्शित करते हुए एक कला प्रदर्शनी आयोजित की थी, जिसमें केंद्र के सदस्य सचिव डा सच्चिदानंद जोशी और अन्य भारतीय और विदेशी गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. उस कला प्रदर्शनी ने रूस की रचनात्मक विविधता को प्रदर्शित किया था. अभय के की कलात्मक यात्रा 2005 में मास्को रूस में शुरू हुई. तब से उन्होंने पेरिस, सेंट पीटर्सबर्ग, नई दिल्ली, ब्रासीलिया और अंटानानारिवो में अपनी कलाकृतियां प्रदर्शित की हैं, जिनमें से कुछ अब दुनिया भर में निजी संग्रह में शामिल हैं.