राउरकेला: ‘संकल्प‘ संस्थान ने हिंदी दिवस समारोह के अवसर पर कई आयोजन किए. राउरकेला में कविता संग्रह ‘आचमन‘ का विमोचन हुआ, तो जमशेदपुर में ‘स्वराग‘ संग्रह का प्रकाशन सिंहभूम जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन, तुलसी भवन ने किया है. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डा संजय पंकज एवं डा मधुसूदन साहा उपस्थित थे. मंच पर गजलकार डाक्टर कृष्ण कुमार प्रजापति, कवयित्री अरुणा चौहान, उषा अग्रवाल, लेखक सुशील दाहिमा और श्रवण पारीख उपस्थित थे. तुलसी भवन साहित्य समिति के प्रचार-प्रसार प्रमुख अजय प्रजापति भी इस अवसर पर उपस्थित थे. डा कृष्ण कुमार प्रजापति ने ‘आचमन‘ संग्रह में शामिल रचनाओं को स्तरीय एवं महत्त्वपूर्ण बताते हुए अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि साझा संग्रह में शामिल रचनाकार जमशेदपुर ही नहीं झारखंड राज्य का मान बढ़ाने वाले हैं. मुख्य अतिथि ने आचमन के प्रकाशन पर तुलसी भवन को बधाई देते हुए कहा कि तुलसी भवन साहित्य एवं संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है और इसकी प्रसिद्धि पूरे भारत में है. उन्होंने तुलसी भवन से प्रकाशित होने वाली पत्रिका तुलसी प्रभा की भी चर्चा की और कहा कि इस पत्रिका में हिंदी साहित्य को ऊंचाई पर ले जाने की और अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाने की अपार संभावनाएं हैं. इस अवसर पर सभागार में सैकड़ों की संख्या में हिंदी प्रेमी, साहित्यकार एवं कवि उपस्थित रहे.
उधर जमशेदपुर में हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता सुभाषचंद्र मुनका ने की. मुख्य अतिथि के रूप में डा सी भास्कर राव और विशिष्ट अतिथि के रूप में अरुण कुमार तिवारी और मुरलीधर केडिया ने राजभाषा को लेकर अपने विचार व्यक्त किए. स्वागत मानद महासचिव डा प्रसेनजित तिवारी ने किया. नीलाम्बर चौधरी की सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई. संचालन डा यमुना तिवारी व्यथित ने किया. इस अवसर पर रामधारी सिंह दिनकर एवं श्रीकांत वर्मा की जयंती भी मनाई गई. दिनकर के जीवनी पर अशोक पाठक स्नेही और श्रीकांत वर्मा के जीवनी पर सुरेशचंद्र झा ने प्रकाश डाला. कई सत्रों में विभाजित इस कार्यक्रम के अगले सत्र में आरती श्रीवास्तव विपुला की पुस्तक स्वराग-दो का विमोचन भी हुआ. रचनाकार का परिचय उपासना सिन्हा, पाठकीय प्रतिक्रिया दिव्येंदु त्रिपाठी ने दिया. तीसरे सत्र में स्थानीय कवियों ने स्वरचित कविताओं का पाठ किया. अधिकांश कविताओं का विषय हिंदी से जुड़ा था. कार्यक्रम में नीलिमा पाण्डेय, शेषनाथ सिंह शरद, विजयलक्ष्मी वेदुला, शकुंतला शर्मा, रीना सिन्हा, निवेदिता श्रीवास्तव, उमा पाण्डेय, सरिता सिंह मीरा, पूनम सिंह, सुष्मिता मिश्रा, विंध्यवासिनी तिवारी, वीणा नंदिनी, मीनाक्षी कर्ण, पूनम शर्मा स्नेहिल, शिप्रा सैनी, सोनी सुगंधा, क्षमाश्री दुबे, बलविंदर सिंह, कैलाश शर्मा गाजीपुरी, बिमल कुमार विमल, हरिहर राय चौहान एवं शिवनंदन सिंह सहित अनेक साहित्यकारों ने अपनी बात रखी, रचनाएं सुनाईं.