मंदसौर: अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने शारदीय कविता गोष्ठी का आयोजन किया. इसके मुख्य अतिथि घनश्याम बटवाल थे. दिनेशचंद उपाध्याय, आशारानी उपाध्याय, मनोहर मधुकर जावरा, रमेश मनोहर जावरा विशेष अतिथि थे. राजेंद्र तिवारी, नंदकिशोर राठौर, विजय अग्निहोत्री, नरेंद्र भावसार, नरेंद्र त्रिवेदी, अजय डांगी, चंदा डांगी, सुरेंद्र शर्मा पहलवान साहब तथा ध्रुव जैन की उपस्थिति में वरिष्ठ कवि राजेंद्र तिवारी को साहित्य साधना पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इस अवसर पर बटवाल ने कहा कि सत्यमित्रानंद के परम शिष्य राजेंद्र तिवारी मेरे गुरु भाई हैं. आपने सच्चे अर्थों में सत्यमित्रानंद की विरासत को धर्म एवं कर्म के रूप में अपने जीवन में उतारा है. सरल एवं निर्मल हृदय के तिवारी को साहित्य साधना हेतु सम्मान प्रदान किया यह हमारे गुरुदेव की ही कृपा है. कविता गोष्ठी में नंदकिशोर राठौर ने मालवी कविता ‘या है मालवा की माटी अटे छाछ पीवे खाटी, कूट कुटाई ने बने चूरमो उड़द की दाल ने बाटी‘ प्रस्तुत की. विजय अग्निहोत्री ने ‘दूरी न सही जाए जीवन के सफर में‘ गीत सुनाया.
कवि गोष्ठी की अगली प्रस्तुति ध्रुव जैन की ‘कच्ची पक्की डगर पर चलने देते‘ कविता थी. नरेंद्र भावसार ने ‘नया प्यार नई तकरार सैयां ले चल तू बाजार‘ कविता सुनाई, तो दिनेश उपाध्याय ने बेटियों पर सुंदर गीत ‘बेटियां हमारी आज समझदार हो गईं, अपने ही घर में अपना परिवार हो गई‘ सुनाया. आशारानी उपाध्याय ने गजल ‘रस्म वफा मिटा के जिंदा है आदमी, आबादियों के शहर में तनहा है आदमी‘ प्रस्तुत की. मनोहर मधुकर ने प्रेम गीत ‘मन की बातें लिख भेजी हैं, इन्हें अन्यथा मत लेना‘ सुनाया. रमेश मनोहर ने अपने व्यंग्य क्षणिकाएं, दोहे तथा गजल की प्रस्तुति दी. मोहित गोस्वामी ने मालवी रचना ‘तू तो दूध झाइयां लागे मने धोरी धोरी‘ सुनाया, तो सुनील वैष्णव ने ‘कितनी पीड़ा देकर कवि का सृजन जन्म लेता है‘ सुनाया. योगेश शर्मा ने राम शबरी प्रसंग को सुनाया. विनोद सेन ने हास्य रचना ‘बिच्छू सी जहरीली‘ सुनाया. सुरेंद्र शर्मा पहलवान ने ‘कुदरत का करिश्मा तो देखो‘ गीत सुनाया. कार्यक्रम का आरंभ ब्रह्मलीन सत्यमित्रानंद की तस्वीर पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से हुआ. संचालन नरेंद्र भावसार ने एवं आभार नरेंद्र त्रिवेदी ने माना.