मुंबई: “हम संविधान दिवस क्यों मनाते हैं ताकि हमें याद रहे कि हमारे संविधान का निर्माण कैसे हुआ, यह कैसे हमारे अधिकारों का सृजन करता है कैसे हमें ताकत देता है, कैसे हमें बल देता है और कैसे ऐसी व्यवस्था पैदा करता है कि साधारण पृष्ठभूमि का व्यक्ति प्रधानमंत्री, कृषक का पुत्र उपराष्ट्रपति और महान क्षमता वाली एक आदिवासी महिला, जिन्होंने सब कुछ देखा है, कमी देखी है, जमीनी हकीकत देखी है, वे राष्ट्रपति हैं.” यह बात अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कही. वे मुंबई के एलफिंस्टन टेक्निकल हाई स्कूल और जूनियर कालेज में संविधान मंदिर के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर उन्होंने महाराष्ट्र राज्य के सभी 434 आईटीआई में संविधान मंदिर का आनलाइन उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि संविधान के 22 भाग हैं जिन्हें 22 पेंटिंग द्वारा चित्रित किया गया है. वह हमारे 5000 साल के इतिहास को दर्शाती हैं. हमारे मूल्यों का दर्शन करवाती हैं. ये पेंटिंग सभ्यता के लोकाचार और मूल्यों को दर्शाती हैं. सबसे पहले है संघ और उसका क्षेत्र, इसमें जेबू बुल दिखाया गया है. जेबू बुल का मतलब है सभी शक्तियां एक में निहित हैं, भारत मजबूत रहे, भारत को खंडित करने वाले लोगों का सपना चकनाचूर हो जाए, यह लिखा है और जब हम मौलिक अधिकारों पर जाते हैं तो वह चित्रण क्या है? श्री राम, देवी सीता, श्री लक्ष्मण, भारत के शाश्वत नायक, जो अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक हैं जैसा कि भाग 3 के एक दृश्य में दर्शाया गया है. यह मौलिक अधिकारों में है कि अधर्म हारेगा और धर्म की जीत होगी. हमारी रामायण की पृष्ठभूमि से लिया गया एक महत्त्वपूर्ण चित्र है.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि राज्य नीति के निर्देशक तत्व की कलाकृति का विषय श्री कृष्ण द्वारा कुरुक्षेत्र में महाभारत की लड़ाई शुरू होने से पहले किंकर्तव्यविमूढ़ अर्जुन को ज्ञान के अनंत सागर श्रीमद भगवद गीता का उपदेश तो वीर और महान मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज को भी गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है, जो चुनावों से संबंधित है.  धनखड़ ने कहा कि जिस संविधान के तहत हमें मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, जो हमारे मूल अधिकार हैं, उसी संविधान में हमारे मौलिक दायित्व भी हैं, और सर्वप्रथम दायित्व क्या हैं? कि हम संविधान का पालन करें और राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रगान का आदर करें. स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का पालन करें तथा भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करें. लोकतांत्रिक मूल्यों को पोषित करने और संवैधानिक आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करें. उन्होंने कहा कि एक संस्था तभी अच्छी तरह से काम करती है, जब उसे कुछ सीमाओं का एहसास हो. कुछ सीमाएं स्पष्ट होती हैं और कुछ सीमाएं बहुत बारीक और  सूक्ष्म होती हैं. इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले, महाराष्ट्र सरकार के कौशल, रोजगार, उद्यमिता एवं नवाचार विभाग के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, महाराष्ट्र सरकार के कौशल, रोजगार, उद्यमिता एवं नवाचार विभाग के सचिव गणेश पाटिल और अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे.