नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर युवाओं की सहभागिता के लिए मानसिक स्वास्थ्य और साइबर सुरक्षा पर एक राष्ट्रीय आनलाइन कार्यशाला आयोजित की. इस कार्यशाला में मानसिक स्वास्थ्य पर दो सत्र शामिल थे, जिसमें एम्स दिल्ली के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डा राजेश सागर ने व्याख्यान दिया और साइबर सुरक्षा पर भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की उपायुक्त डा रश्मि शर्मा यादव ने व्याख्यान दिया. इस कार्यशाला का यूट्यूब पर सीधा प्रसारण किया गया, जिससे देश भर में 20 लाख से अधिक छात्र और शिक्षक जुड़े. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अपर सचिव विपिन कुमार ने छात्रों के बीच मानसिक स्वास्थ्य और इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग के महत्त्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने आज के डिजिटल युग में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों के संभावित प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए शीघ्र कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की संयुक्त सचिव अर्चना शर्मा अवस्थी ने छात्रों के कल्याण को प्राथमिकता देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. उन्होंने छात्रों एवं शिक्षकों दोनों के लिए मानसिक स्वास्थ्य के महत्त्व पर प्रकाश डाला तथा सभी से अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने और खुद को साइबर अपराध का शिकार होने से बचाने के लिए विशेषज्ञों द्वारा दी गई सलाह को ध्यान से सुनने और उसका पालन करने का आह्वान किया.
डा राजेश सागर ने तनाव, चिंता और अवसाद जैसे प्रचलित मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान की. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लगभग 50 प्रतिशत मानसिक स्वास्थ्य विकार 14 वर्ष की आयु से पहले ही उभर आते हैं, और शीघ्र हस्तक्षेप की वकालत की. डा सागर ने शैक्षणिक दबाव, माता-पिता के बीच संघर्ष और बुलिंग सहित सामान्य तनावों की पहचान की, और एक खुशहाल बचपन को बढ़ावा देने के लिए गहरी सांस लेने और संज्ञानात्मक पुनर्गठन जैसी प्रभावी रणनीतियों को साझा किया. डा रश्मि शर्मा यादव ने बच्चों के लिए साइबर स्वच्छता और सुरक्षा के महत्त्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने साइबर बुलिंग, ग्रुमिंग और धोखाधड़ी वाले आनलाइन गेमिंग एप्लिकेशन के खिलाफ निवारक उपायों के बारे में बताया. उन्होंने छात्रों को हेल्पलाइन 1930 और @साइबरदोस्त के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिम्मेदारी के साथ इंटरनेट के उपयोग, माता-पिता की जागरूकता और व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा के महत्त्व पर जोर दिया. दोनों विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि छात्रों को अपने माता-पिता और शिक्षकों जैसे बड़ों के साथ अपनी किसी भी समस्या को साझा करना चाहिए. इस कार्यशाला में देश भर के नवोदय विद्यालय समिति, केंद्रीय विद्यालय संगठन, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, सीबीएसई और राज्य सरकार के स्कूलों की कक्षा छह से बारहवीं तक के छात्रों ने भाग लिया और इसे सांकेतिक भाषा में भी प्रस्तुत किया गया जिससे सभी प्रतिभागियों की सुलभता सुनिश्चित हुई.