नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित प्रथम समुद्री कार्यक्रम ‘सागरमंथन – महासागर संवाद के सफल आयोजन पर अपना संदेश साझा किया. उन्होंने मानवता के समृद्ध भविष्य के लिए साझेदारी पर आम सहमति बनाने हेतु ‘सागरमंथन‘ की सफलता का आह्वान किया. पीएम मोदी ने कहा, “एक स्वतंत्र, सार्वजनिक और सुरक्षित समुद्री नेटवर्क के लिए हमारा दृष्टिकोण- चाहे वह हिंद महासागर हो या हिंद-प्रशांत क्षेत्र- दुनिया भर में गूंज रहा है. ‘हिंद-प्रशांत महासागर पहल‘ समुद्री संसाधनों को राष्ट्रों की प्रगति के लिए प्रमुख स्तंभ के रूप में देखती है. महासागरों पर यह संवाद नियम-आधारित विश्व व्यवस्था को और मजबूत करेगा तथा राष्ट्रों के बीच शांति, विश्वास और मित्रता को बढ़ाएगा. हम 2047 तक विकसित भारत के विजन को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं, ऐसे में सागरमंथन जैसे संवाद आम सहमति, साझेदारी और सबसे महत्वपूर्ण रूप से समृद्ध भविष्य बनाने के लिए अमूल्य हैं. सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयासों से मुझे विश्वास है कि ये संवाद दूर-दूर तक गूंजेंगे और एक उज्ज्वल तथा पहले से अधिक एक-दूसरे से जुड़े हुए भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेंगे.”
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की समृद्ध समुद्री विरासत और इस क्षेत्र के विकास के लिए उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “भारत की समुद्री परंपरा हजारों साल पुरानी है और यह दुनिया में सबसे समृद्ध है. लोथल और धोलावीरा के संपन्न बंदरगाह शहर, चोल वंश के बेड़े, छत्रपति शिवाजी महाराज के कारनामे प्रेरणादायक हैं. महासागर राष्ट्रों और समाजों के लिए एक साझा विरासत हैं, साथ ही यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की जीवन रेखा भी हैं. आज राष्ट्रों की सुरक्षा और समृद्धि महासागरों से गहराई से जुड़ी हुई है. महासागरों की क्षमता को देखते हुए, भारत की समुद्री दक्षता को बढ़ाने के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं. पिछले दशक में ‘समृद्धि के बंदरगाह‘, ‘प्रगति के बंदरगाह‘ और ‘उत्पादकता के बंदरगाह‘ के विजन से प्रेरित होकर हमने अपने बंदरगाहों की क्षमता को दोगुना कर दिया है. बंदरगाहों की कार्यकुशलता को बढ़ाकर, जहाज से माल उतारने तथा लादने के समय को कम करके और एक्सप्रेसवे, रेलवे तथा नदी नेटवर्क के माध्यम से शुरू से अंत तक की कनेक्टिविटी को मजबूत करके हमने भारत के समुद्र तटीय रेखा को बदल दिया है.” समुद्री क्षेत्र के बदलाव में अग्रणी भूमिका को स्वीकार करते हुए, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सागरमंथन – महासागर संवाद के पहले संस्करण की सफलता के लिए प्रधानमंत्री के उदार शब्दों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया.