देहरादून: “प्राचीन शास्त्र हमें बताते हैं, ‘वीर भाग्य वसुंधरा’, यानी, धरती वीरों की है, दृढ़ मनोबल वालों की है, आलसी लोगों की नहीं, अयोग्य और अक्षम लोगों की नहीं. इस महान प्रतिस्पर्धा और प्रतिद्वंद्विता की दुनिया में, हममें से प्रत्येक को संयम और त्याग का जीवन जीना होगा. जीवन में इन महान आदर्शों को अपनाएं.” उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने  राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज के कैडेट्स को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कैडेट्स से आग्रह किया कि वे अपने संस्थान के आदर्श- बल विवेक को चरितार्थ करें और ताकत और ज्ञान विकसित करें ताकि जीवन की बड़ी जंग को लड़ सकें. उपराष्ट्रपति ने कहा, “युवा कैडेट्स, यह आपके जीवन का सबसे रचनात्मक और महत्त्वपूर्ण समय है और आपको अपने सभी प्रयास को देश के आत्मनिर्भर और योग्य सैनिक के रूप में खुद को विकसित करने के लिए निर्देशित करना चाहिए और इस प्रकार उन उम्मीदों को पूरा करना चाहिए जो हमने आपसे बांधी हैं. आपको अपने कालेज के आदर्श वाक्य- बल विवेक- पर खरा उतरना चाहिए, यानी आपको जीवन की लड़ाई लड़ने के लिए अपने अंदर ताकत और बुद्धि विकसित करनी चाहिए. कड़ी मेहनत करें, हमारे सशस्त्र बलों की परंपरा को बनाए रखें, हमारे देश को मजबूत बनाएं और युद्ध और शांति में उसके सम्मान की रक्षा करें.”

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने संस्थान की प्लेटिनम जयंतीपर तत्कालीन राष्ट्रपति डा शंकर दयाल शर्मा के इस वक्तव्य कि- स्कूल का महत्त्व केवल किताबी ज्ञान देने या बच्चे को साक्षर और शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाने में ही नहीं होता, स्कूल, खास तौर पर राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज जैसे आवासीय विद्यालय को बच्चों को संपूर्ण अनुभव प्रदान करना चाहिए और जो यह करता भी है- का उल्लेख करते हुए कहा कि एक  कैडेट के रूप में, आप शानदार विरासत के पथप्रदर्शक हैं. वर्षों से अर्जित और योग्य विरासत. यहां आप जो मूल्य अपनाते हैं, जो प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, और जो लगाव विकसित करते हैं, वे आपको सर्वोच्च कोटि के देशभक्त बनाते हैं. उपराष्ट्रपति ने युवाओं से आग्रह किया कि वे कभी भी भय, चिंता या तनाव की चपेट में न आएं. भय विकास का सबसे बड़ा हत्यारा है, भय हमसे पहल करने की शक्ति छीन लेता है, जब हमें आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है, भय हमें अनिश्चित बनाता है. मेरी बात याद रखें, डर अक्सर वास्तविक नहीं होता है. हमारे पास डर के आयाम को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की प्रवृत्ति है. यदि आप डर से छुटकारा पा लेते हैं, तो बिना किसी आधार के डर एक निवारक है, अक्सर डर रेत पर टिका होता है. असफलता से कभी न डरें. असफलताएं हमारी यात्रा का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं. यदि असफलताओं को रुकावट के रूप में लिया जाता और किसी विशेष वस्तु की खोज में लगे लोग असफलता के कारण बिखर जाते, तो सभ्यतागत विकास नहीं हो पाता. असफलता, मैंने देखा है, और मैं आपको बताता हूं, आप पिछले दो वर्षों को देख सकते हैं, असफलता सफलता की ओर एक कदम है. भय काल्पनिक होता है. हमेशा याद रखें भय, विकास की यात्रा का अनिवार्य तत्व है.