नैनीताल: कुमाऊं विश्वविद्यालय के रामगढ़ स्थित महादेवी वर्मा सृजन पीठ के 15वें स्थापना दिवस पर 'हमारा समय और कविता' विषय पर ऑनलाइन चर्चा और एकल रचना पाठ का आयोजन किया गया. कथाकार डॉ अनिल श्रीवास्तव ने हिंदी कविता के समकालीन परिदृश्य पर चर्चा करते हए कहा कि कविता का समकाल और पाठक का समकाल अलग-अलग है. यह अंतर ही कविता और पाठक के बीच की बड़ी दूरी है. उन्होंने कहा कि कहने के लिए तो यह कहा जाता है कि भूमंडलीकरण के दौर में बाजार ने हिंदी को रोजगार से जोड़ा है, लेकिन सच तो यही है कि इसका लाभ न भाषा को हुआ और न ही आमजन को. इस दौरान उन्होंने अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया, जिनमें अचानक ही और मैं दस तक गिनूंगा आदि उल्लेखनीय हैं.
महादेवी वर्मा सृजन पीठ के निदेशक प्रो गिरीष कुमार मौर्य ने कहा कि पीठ कोरोना काल में डिजिटल माध्यम से लगातार साहित्यिक गतिविधियां आयोजित कर रहा है. इसी क्रम में प्रत्येक रविवार को फेसबुक लाइव के जरिए संभावनाशील युवा एवं प्रतिष्ठित साहित्यकारों की रचनाओं के पाठ एवं वैचारिक विमर्श आयोजित करने का निर्णय लिया गया है. इस कार्यक्रम में साहित्यकार जितेंद्र श्रीवास्तव, जहूर आलम, संतोष कुमार तिवारी, कस्तूरी लाल, मोति प्रसाद साहू, तारा पाठक, शिव प्रकाश त्रिपाठी, संदीप तिवारी, बीना जोशी, पृथ्वी राज सिंह, प्रबोध उनियाल, गोविंद, अजय पांडे, भावना उपाध्याय, अरविंद मौर्य, कविता उप्रेती, पंकज साह, कैलाश कौशल, शैजला पाठक, ज्योति श्रीवास्तव, प्रदीप सैनी, रमेश द्विवेदी, नीलम श्रीवास्तव, ललित जोशी, सपना भट्ट, दिनेश पांडे, मनमोहन जोशी आदि शामिल हुए.