साहिबगंज: स्थानीय प्रगति भवन सभागार में झारखंड राजभाषा साहित्य अकादमी के तत्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. महर्षि वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी और अंगिका के साहित्यकार अनिरुद्ध प्रभाष ने किया. मुख्य अतिथि के रूप में श्वेता सुमन उपस्थित थीं. संगोष्ठी में विषय प्रवेश करते हुए झारखंड राजभाषा साहित्य अकादमी के सचिव सच्चिदानंद ने कहा कि महाकवि वाल्मीकि विरचित महाकाव्य ‘रामायण’ मानवीय आदर्श का मार्गदर्शक एवं मानवीयता का पथ प्रदर्शक महाकाव्य है. यह भारतीय संस्कृति और संस्कार का साक्षात विग्रह है. भारतीय साहित्य ही नहीं दुनिया भर के साहित्य में इसीलिए इस कृति को श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है. यह संगोष्ठी हमारे उसी महान कृति और उसके कृतिकार को याद करने के लिए है. अनुरोध प्रभाष ने कहा कि रामायण महाकाव्य के नायक राम हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता गरिमा कुमारी ने कहा कि कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से हमारी संस्कृति और मूलभूत आज की पीढ़ी के लिए आवश्यक है. शिक्षिका श्वेता सुमन ने कहा कि वाल्मीकि रामायण राम के उद्धत चरित्र का व्यापक चित्रण करता है एवं उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के रूप में स्थापित करता है. आचार्य शिवबालक राय द्वारा विरचित’ ‘रामायण’ पर प्रकाशित पुस्तक ‘वाल्मीकि रामायण एक काव्यानुशीलन ‘ वाल्मीकि रामायण को समझने के लिए आवश्यक पुस्तक है. इसका अध्ययन सबको करना चाहिए. सरिता तिवारी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से समाज एवं पारिवारिक संबंधों का नया आयाम स्थापित होगा. अमृत प्रकाश ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम प्रत्येक भारतीय का आदर्श हैं. इसका व्यापक स्वरूप वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य रामायण में दृष्टिगोचर होता है. संगोष्ठी को शिक्षक स्नेह शंकर, विमल मुर्मू, उपेंद्र कुमार राय, भोला पासवान, शंकर शर्मा ने संबोधित किया. धन्यवाद ज्ञापन राजेश कुमार तांती ने किया.