नई दिल्ली: भारतीय कला में जिस व्यापक विविधता का समावेश है, वह शायद ही कभी उस ढंग से प्रस्तुत की जाती है, जिसके वह योग्य है. सांस्कृतिक रूप से विविध और विशिष्ट होने के कारण, भारतीय पारंपरिक कला रूप वर्षों में विकसित हुए हैं और आधुनिकीकरण से अछूते रहे हैं. आर्ट ट्री आगामी 22 दिसंबर से 30 दिसंबर के बीच नई दिल्ली के बीकानेर हाउस में तीन कला रूपों 'मधुबनी, फड़ और चिंट्ज़' के तहत एक ही छत के नीचे राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मनीषा झा की मधुबनी, प्रकाश जोशी के फड़ और जे निरंजन की चिंट्ज़ को प्रस्तुत कर रहा है. इस दौरान 'द लिगेसी एंड रिवाइवल ऑफ चिंट्ज़' पर कलाकार जे निरंजन और भारतीय हस्तशिल्प क्यूरेटर जया जेटली के साथ एक पैनल चर्चा के अलावा मनीषा झा द्वारा लिखित पुस्तक 'मधुश्रवणी' का लोकार्पण भी होगा.
आर्ट ट्री की संस्थापक प्रगति अग्रवाल का कहना है कि यह शो आज के युवाओं को हमारी अनूठी, प्रशंसनीय और अद्वितीय कला से परिचित कराने की दृष्टि से और पुरानी यादों को फिर से जागृत करने की एक पहल है. याद रहे कि पेशे से आर्किटेक्ट मनीषा झा ने मिथिला के गांवों में सुनाई गई मधुश्रवणी त्योहार, रामायण और महाभारत जैसे मौखिक आख्यानों का दस्तावेजीकरण किया है. वह पिछले अट्ठाईस वर्षों से पेंटिंग कर रही हैं और 70 से अधिक शो किए हैं. प्रकाश जोशी फड़ पेंटर्स के परिवार से ताल्लुक रखते हैं. भीलवाड़ा के जोशी 400 से अधिक वर्षों से इस कला रूप का अभ्यास कर रहे हैं. प्रकाश लघुचित्र प्रारूपों में एकयन-एक सूत्र के लिए फड़ की एक पूरी श्रृंखला बना रहे हैं. यह पहली बार है कि लघुचित्र प्रारूप में फड़ किए जा रहे हैं. जे निरंजन, चौथी पीढ़ी के कलमकारी कलाकार हैं. निरंजन ने यह कला अपने पिता पद्मश्री गुरुप्पा चेट्टी से सीखी है. वह चिंट्ज़ के पुनरुद्धार पर काम कर रहे हैं.