जासं, गोरखपुर : साहित्य, मनोरंजन, कला, रचनाधर्मिता, इतिहास आद गंभीर विषयों से होता हुआ जागरण संवादी के विमर्श का मंच जब पहले दिन के अंतिम व सातवें सत्र में पहुंचा तो लोकगीतों के विविध रंग बिखरे। हाल में बैठे श्रोता ऐसे मगन हुए कि शाम से रात कब हुई पता ही नहीं चला। निर्गुण, पुरबी, बिरहा व दीपावली के गीतों से लोक गायिका चंदन तिवारी ने सुरों की ऐसी तान छेड़ी कि सभी मगन हो उठे। योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह का हाल तालियों से गूंज उठा। लगभग साढ़े आठ बजे चंदन तिवारी मंच पर पहुंचीं तो गंगा मैया के भक्ति गीत से कार्यक्रम की शुरुआत की। जब बारी लोकगीतों की आई तो उन्होंने भोजपुरी के प्रसिद्ध गीतकार महेंद्र मिश्र के लोकप्रिय गीत अंगुरी में डंसले बिया नगिनिया रे ननदी दियना जराइ द, गाया तो लोगों ने ताली बजा गीत के साथ खुद को जोड़ा। भक्ति गीत, जय राम रमा रमणम शरणम, गाकर लोगों को भक्ति रस में डुबोया। प्रसिद्ध बिरहा गायक बालेश्वर यादव के बिरहा, निक लागे टिकुलिया गोरखपुर के, गाकर गोरखपुर से नाता जोड़ा तो श्रोताओं को गुदगुदाया भी। अइले गोरखपुर गइले दुबराई हो, सुतल बाड़ कि जागत बाड़ सुनतर कि नाहीं हो, इस पर लोग ताली बजाकर झूमने लगे। इसके बाद लगातार लोकगीतों के विविध रंग मंच पर बिखरते रहे। अंत में माता जानकी को समर्पित गीत गाकर कार्यक्रम को विराम दिया। संगतकारों आदित्य, रानू जानसन, पवन,अभिषेक, बैंजो पर एहसान अली और शिवम बाबू रहे।