नई दिल्ली: “हमारे पास विश्व में सबसे बड़ा सोशल मीडिया उपयोगकर्ता समूह है. सच तो यह है कि कुछ सबसे तेजी से बढ़ते सोशल मीडिया नेटवर्क के उपयोगकर्ताओं की आधारभूमि भारत में है.” पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ‘रचनात्मक अर्थव्यवस्था पर अखिल भारतीय पहल‘ के शुभारंभ अवसर पर भारतीय व्यापार परिसंघ को बधाई देते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसे मंच की संकल्पना है, जहां भारत के रचनात्मक उद्योग समूह एक साथ आकर रचनात्मक अर्थव्यवस्था से संबंधित विभिन्न मामलों पर सहयोग कर सकते हैं. पुरी ने भारत में सामग्री निर्माण की विकास क्षमता को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि भारत ‘विश्व की विषयवस्तु राजधानी‘ बन गया है. 2023 में भारत में 10 करोड़ से अधिक विषयवस्तु निर्माता थे. उन्होंने कहा कि व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, जिसने विश्व स्तर पर रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, ने इस बात पर बल दिया है कि रचनात्मक अर्थव्यवस्था प्रतिवर्ष 2 खरब अमेरिकी डालर का राजस्व उत्पन्न करती और दुनिया भर में लगभग 5 करोड़ नौकरियों के लिए जिम्मेदार है.
पुरी ने कहा कि भारत में रचनात्मक उद्योग अब 30 अरब डालर का है और यह भारत की लगभग 8 प्रतिशत कामकाजी आबादी के रोजगार के लिए उत्तरदायी है. उन्होंने कहा कि अकेले पिछले वर्ष रचनात्मक निर्यात में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे 11 अरब डालर से अधिक का उत्पादन हुआ है तथा आने वाले वर्षों में उद्योग में उल्लेखनीय वृद्धि देखने की सम्भावना है. पुरी ने कहा कि भारतीयों विशेष रूप से युवाओं की बढ़ती संख्या का यह मानना है कि रचनात्मक उद्योग अधिक आकर्षक होने के साथ-साथ करियर सुरक्षा भी प्रदान करते हैं. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह हमारे रचनात्मक निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक प्रोत्साहन कारक है. उन्होंने भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था में बालीवुड और अन्य स्थानीय फिल्म उद्योगों की भूमिका को भी स्वीकार किया, और इस बात पर प्रकाश डाला कि मुंबई फिल्म उद्योग भारत के सबसे प्रसिद्ध साफ्ट पावर निर्यातों में से एक है. विभिन्न रचनात्मक उद्योगों की प्रतिष्ठित हस्तियों की सभा को संबोधित करते हुए पुरी ने शहरी स्थानों की जीवंतता के बारे में बात की जिससे रचनात्मक अर्थव्यवस्था और भी समृद्ध होगी. भारतीय शहरी क्षेत्रों में सामग्री निर्माण और रचनात्मक अर्थव्यवस्था की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि रचनात्मक उद्योग, जो कभी लगभग विशेष रूप से टियर-1 शहरों में आधारित थे और कई महत्वाकांक्षी रचनात्मक कलाकारों के लिए बहिष्करणीय माने जाते थे, अब टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी फल-फूल रहे हैं. पुरी ने रचनात्मक अर्थव्यवस्था पर डिजिटलीकरण के गहरे प्रभाव पर बल दिया और कहा कि ऐसी तकनीकी प्रगति ने विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति ला दी है. इस परिवर्तन का एक उल्लेखनीय पहलू कृत्रिम बुद्धिमत्ता है. इसका उपयोग समाचार कक्षों में तेजी से किया जा रहा है, 41 प्रतिशत समाचार टीमें इसे चित्रण कला बनाने के लिए, 39 प्रतिशत सोशल मीडिया सामग्री के लिए, और 38 प्रतिशत लेख लिखने और तैयार करने के लिए इसका उपयोग कर रही हैं.