नई दिल्ली: केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राजधानी के भारत मंडपम में संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ‘युग युगीन भारत संग्रहालय पर राज्य संग्रहालय सम्मेलन‘ का उद्घाटन किया. इस सम्मेलन का उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘युग युगीन भारत संग्रहालय‘ की कल्पना को साकार करने में राज्य संग्रहालयों और केंद्र सरकार के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है. इसके माध्यम से सरकार विश्व की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहती है. ‘युग युगीन भारत संग्रहालय‘ के लिए भारत की कलाकृतियों की व्यापक समझ को बढ़ावा देने के लिए, राज्यों को आगामी राज्य सम्मेलन में अपने-अपने राज्य के संग्रह के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने के लिए आमंत्रित किया गया है. इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन में देश भर के स्थानीय आयुक्त, संग्रहालयों के निदेशक, अधीक्षक, क्यूरेटर, प्रोफेसर और शोधकर्ताओं सहित हितधारकों के विविध समूह ने भाग लिया है. यह संस्कृति मंत्रालय के जीएलएएम प्रभाग द्वारा किए गए क्षमता निर्माण पहलों की शृंखला का तीसरा चरण है. अंतर-मंत्रालयी परामर्श इसी वर्ष 14 जून को आयोजित किए गए थे और उसके बाद संग्रहालय पेशेवरों-निदेशकों, क्यूरेटर, शिक्षा अधिकारियों और संरक्षकों के साथ सहयोगात्मक कार्यशाला भी 25 से 29 जून तक फ्रांस संग्रहालयों की साझेदारी में आयोजित की गई थी.
मंत्री ने कहा कि प्रसिद्ध भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय पेशेवरों के नेतृत्व में इन क्षमता निर्माण कार्यशालाओं के माध्यम से, मंत्रालय का उद्देश्य राज्य स्तर के कर्मियों को संग्रह प्रबंधन, अभिलेखीकरण और संग्रहालय प्रशासन में आवश्यक कौशल से लैस करना है. शेखावत ने उम्मीद जताई कि तीन दिवसीय राज्य सम्मेलन भारत में संग्रहालय इकोसिस्टम को और मजबूत करेगा तथा ‘युग युगीन भारत संग्रहालय‘ परियोजना के लिए संभावित सहयोगियों के साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण और अनुभव साझा करने के अवसर प्रदान करेगा. मंत्री शेखावत ने कहा कि सहकारी संघवाद और संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण की भावना के साथ, इन विचार-विमर्शों के माध्यम से प्राप्त ज्ञान ‘युग युगीन भारत संग्रहालय‘ को ‘दुनिया के आश्चर्य‘ के रूप में विकसित करने में सहायक होगा, जो भारत के दृष्टिकोण- ‘विकास भी, विरासत भी‘ के अनुरूप है. राज्य स्तरीय संग्रहालय विकास पहलों को समर्थन देने के लिए संस्कृति मंत्रालय ने तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान उपलब्ध वित्तपोषण योजनाओं का अवलोकन भी प्रस्तुत किया, जिसमें हाल ही में अद्यतन संग्रहालय अनुदान योजना और विज्ञान संस्कृति संवर्धन योजना शामिल है.