लखनऊ: “भारत की श्रुति परंपरा का महत्त्व बहुत गहरा है. नैमिषारण्य जैसे पवित्र स्थानों पर ऋषियों ने ज्ञान को लिपिबद्ध किया, जिससे वह एक तीर्थ स्थल बन गया. हमारे देश में सुनना, मनन करना और उसे आचरण में उतारना एक परंपरा रही है. आज हमें फिर से इस परंपरा को जीवंत करना होगा.” उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बात गोमती रिवर फ्रंट पार्क में आयोजित ‘गोमती पुस्तक महोत्सव‘ का उद्घाटन करते हुए कही. राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत और लखनऊ विकास प्राधिकरण के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस महोत्सव में मुख्यमंत्री ने बच्चों से पाठ्यक्रम के साथ-साथ रचनात्मक और ज्ञानवर्धक पुस्तकों को पढ़ने की अपील की. मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ पाठ्यक्रम की किताबों तक सीमित न रहें, बल्कि अच्छी किताबें पढ़ें और उनसे अच्छी बातें सीखें. उन्होंने सभी बच्चों से मेले में एक-एक पुस्तक खरीदने का अनुरोध किया, ताकि उनमें पुस्तक पढ़ने की आदत विकसित हो सके. मुख्यमंत्री ने डिजिटल युग के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज के युवा 24 घंटों में से लगभग 6 घंटे स्मार्टफोन या अन्य डिजिटल डिवाइस पर व्यतीत कर रहे हैं. अगर इस समय का उपयोग किसी सार्थक कार्य में किया जाए, तो यह समाज और युवा दोनों के लिए लाभकारी हो सकता है. उन्होंने कहा कि हमें तकनीक का उपयोग करना चाहिए, न कि उसका गुलाम बनना चाहिए.
मुख्यमंत्री योगी ने भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सौभाग्यशाली है कि यहां महर्षि वाल्मीकि और संत तुलसीदास जैसे महान कवि हुए. उन्होंने महाकाव्य ‘रामचरित मानस‘ का उल्लेख करते हुए कहा कि इसे घर-घर में गाया जाता है. उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता का उदाहरण देते हुए कहा कि युद्ध भूमि में भी ज्ञान की सर्वश्रेष्ठ कृति रची गई थी. हमें अपनी इस महान परंपरा पर गर्व करना चाहिए और इसे संजोए रखना चाहिए. मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की इस पहल की सराहना की और सुझाव दिया कि उत्तर प्रदेश के सभी 18 मंडलों में ऐसे पुस्तक मेलों का आयोजन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस तरह के मेलों से समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंचेगा और लोगों में पुस्तकों के प्रति रुचि बढ़ेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमें डिजिटल डिवाइस पर बिताए जाने वाले समय को कम करके पुस्तकों के अध्ययन पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि पुस्तकें हमारी सोच को विस्तार देती हैं और हमें समाज के प्रति जागरूक बनाती हैं. हमें अपनी नई पीढ़ी को इस दिशा में प्रेरित करना होगा. याद रहे कि गोमती पुस्तक महोत्सव का यह तृतीय संस्करण है, जिसमें लेखक, साहित्य के सुधीजन और पुस्तक प्रेमी उपस्थित रहे. मुख्यमंत्री ने पुस्तकों का अवलोकन किया और आयोजकों को इस अभिनव प्रयास के लिए शुभकामनाएं दीं.