नई दिल्लीः भारत के राष्ट्रीय कैलेंडर को अंगीकार करने की 65वीं वर्षगांठ के अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव के तहत दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनी 22 से 23 अप्रैल को उज्जैन और डोंगला में, यानी कर्क रेखा पर एक जगह आयोजित की जाएगी. इसके लिए कर्टेन रेजर समारोह और वेबसाइट शुरू की गई है. सरकार ने इस सम्मेलन को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के लिए छह कर्टेन रेजर निर्धारित किए गए हैं. इसके तहत 22 मार्च को नई दिल्ली के सीएसआईआर- एनपीएल में एक कार्यक्रम हुआ. इसके बाद 29 मार्च को बेंगलुरु के भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान में, 5 अप्रैल को कोलकाता के एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज में, 6 अप्रैल को गुवाहाटी में, 10 अप्रैल को जम्मू के केंद्रीय विश्वविद्यालय में और 11 अप्रैल को मुंबई विश्वविद्यालय में कार्यक्रम होंगे. नई दिल्ली में इसी तरह के पहले कार्यक्रम में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव डॉ श्रीवरी चंद्रशेखर, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव डॉ आर रविचंद्रन, सीएसआईआर के महानिदेशक एवं डीएसआईआर के सचिव डॉ शेखर सी. मांडे, सीएसआईआर- एनपीएल के निदेशक वेणु गोपाल अचंता आदि प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव डॉ श्रीवरी चंद्रशेखर ने कहा, 'मुझे खुशी है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और कई अन्य प्रयोगशालाएं आज हमारे साथ जुड़ गई हैं ताकि हम अपने अतीत में जो खो चुके हैं उससे खुद को फिर से जोड़ सकें.' उन्होंने कहा, 'उम्मीद है कि यह हम सभी के लिए एक नई शुरुआत है जिसे हमें गंभीरता से लेना चाहिए.'सीएसआईआर- एनआईएससीएआईआर के निदेशक डॉ रंजना अग्रवाल ने भारतीयों के लिए चैत्य 1944 के महत्त्व पर प्रकाश डाला. सीएसआईआर- एनपीएल के निदेशक प्रो. वेणु गोपाल अचंता ने कहा कि यह कैलेंडर वैज्ञानिक तौर पर स्थापित है. उन्होंने कहा कि यह महत्त्वपूर्ण है कि हम इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं और अपने स्वयं के कैलेंडर को बढ़ावा दे रहे हैं जो लंबे समय से अस्तित्व में है लेकिन इसे आगे बढ़ाने, स्वीकार करने और हमारे दैनिक जीवन में लाने की जरूरत है. याद रहे कि 'भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर' भारत की पहचान की एक वैज्ञानिक अभिव्यक्ति है और इसे 1957 में हमारी संसद द्वारा संवैधानिक तौर पर अंगीकृत किया गया था. विज्ञान भारती ने संस्कृति मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और आईयूसीएए, आईआईए, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, आईआईटी इंदौर आदि वैज्ञानिक संगठनों और राष्ट्रीय दिनदर्शिका प्रचार मंच आदि सामाजिक वैज्ञानिक संगठनों के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर पर इस सम्मेलन का आयोजन किया है.