मंदसौर: ‘दुख के लम्हों में आंखों से आंसू बन बहती हिंदी, सुख के क्षणों में होठों की मुस्कान बनी रहती हिंदी.’ अपनी भाषा, साहित्य और मालवी अस्मिता से जुड़ी अहम शख्सियत डा रघुवीर सिंह स्मृति समारोह के दौरान हुए कवि सम्मेलन की शुरुआत अमन जादोन के इस गीत से हुई. पोरवाल मुकेश ‘निडर’ ने पर्यावरण गीत सुनाया, जिसके बोल थे, ‘आओ जी आओ, पेड़ लगायें हम, पेड़ बचाएं हम.’ डा नीलेश नगाइच ‘नील’ ने साहित्यकारों की अहमियत को उजागर करते हुए, ‘कुछ भी आसान नहीं लिखना फनकारों से, लोहा काट रहे कागज की तलवारों से’ सुनाया. धीरज चौहान ने सुनाया, ‘हम चमकना चाहते हैं देर तक इसलिए हमने रोशनी कम कर रखी है.’. हिमांशु हिंद झाबुआ ने बेटियों को इतना नाजुक मत बनाइए झांसी वाली रानी जैसी वीरता सिखाइये प्रस्तुत की.
अगला रंग नरेंद्र भावसार का था. उन्होंने अपने हास्य व्यंग्य से गुदगुदाया, ‘मैं स्कूल गया ना कालेज, इसीलिए बहुत है नालेज,’ तो एकाग्र शर्मा ने मंच संचालन करते हुए ‘गीत तेरे तट पर चारों धाम मां नर्मदे तुझे प्रणाम’ सुनाया. वरिष्ठ कवि गोपाल बैरागी ने ‘भारत का तिरंगा लहराया झूम उठी तरुणाई है, मेरे भारत में भगवा की मस्ती छाई है’ गीत सुनाया. अंत में पिपलियामंडी के कवि पंकज शर्मा ‘तरुण’ के काव्य संग्रह ‘नव पल्लव’ का विमोचन अतिथियों एवं कवियों ने किया. इस मौके पर डा घनश्याम बटवाल द्वारा संपादित एवं लाल बहादुर श्रीवास्तव के रेखांकन सज्जित साहित्य संग्रह ‘यथार्थ’ की प्रति अतिथियों एवं कवि रचनाकारों को भेंट की गई. आभार नरेंद्र त्रिवेदी ने माना. समारोह में डा रेखा द्विवेदी, डा ज्ञानचंद खिमेसरा, हरीश दवे, बालूसिंह सिसोदिया, डा रविन्द्र पांडेय, चंदा डांगी, किरण श्रीवास्तव, डा आकांक्षा त्यागी, जयेश नागर, अलका दवे, पुष्पेन्द्र सिंह चौहान, वरदीचंद कुमावत, कन्हैया लाल सोनगरा, सिद्धार्थ अग्रवाल, गोपाल पंचारिया, सचिन पारिख, संतोष परसाई, भगवती प्रसाद गेहलोत, सतीश नागर, यशपाल राव शिंदे, शम्भूदयाल व्यास, राकेश सिंह, प्रकाश कल्याणी, हिमांशु पांडे, सुनील राठौड़, माधव श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे. इस अवसर पर जनपरिषद संस्था कार्यकारिणी सदस्य चंदा अजय डांगी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वनिर्मित कपड़े की थैलियां अतिथियों, कवियों एवं गणमान्य को भेंट की.