उदयपुर: “इतिहास ऐसा हो जिससे हम संस्कारित होकर सभी समाजों की सेवा कर सकें तथा शिक्षा के माध्यम से आर्थिक समृद्धि प्राप्त कर ऐसा कार्य करें जिससे आने वाली पीढ़ी को इसी प्रकार का इतिहास लिखने का मौका मिले.” पूर्व राजघराने मेवाड़ के सदस्य व नाथद्वारा विधायक कुंवर विश्वराज सिंह ने स्थानीय नगर निगम स्थित महाराणा प्रताप सभागार में ‘पुरावतों का इतिहास‘ पुस्तक के विमोचन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि यह इतिहास पुरखों के त्याग को ही नहीं दर्शाता है अपितु पीढ़ी-दर-पीढ़ी संस्कारों को भी जीवंत रखता है. भारतीय संस्कृति, परंपरा हमारी विरासत है इसे संजोये रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है. उन्होंने कहा कि पुरखों के सत्कर्म से ही आज वंश परंपरा जीवित है. यह प्रसन्नता का विषय है कि महाराणा प्रताप के 11वें पुत्र पूरणमल के वंशजों का इतिहास डा भूपेंद्र सिंह राठौड़ ने लेखनीबद्ध किया है. इस इतिहास से समाज प्रेरणा लेकर इन्हें यथार्थ के रूप में चरितार्थ करेगा और उनके विचारों से प्रेरित होकर अपने जीवन को अमूल्य बनाएगा. विद्या प्रचारिणी सभा के मंत्री डा महेंद्र सिंह आगरिया ने कहा कि प्रताप शोध प्रतिष्ठान निरंतर नए तथ्यों को उजागर करने हेतु शोध कार्य करता रहता है. हमारा प्रयास यह है कि हम नए शोध कर प्रत्येक ठिकाने पर इतिहास का लेखन कर सकें. इसी क्रम में 45 ठिकानों पर अध्ययन-लेखन कर ‘पुरावतो का इतिहास‘ को पुस्तक के रूप में आपके समक्ष रखा गया है.
इस अवसर पर कर्नल प्रो शिव सिंह कच्छेर ने कहा कि वर्तमान, भविष्य एवं अतीत के लिए इतिहास लेखन जरूरी है. महाराज पूरणमल को पांच महाराणा की सेवा का सुअवसर मिला, जिसका उन्होंने बखूबी निर्वहन किया. प्राथमिक स्रोतों से अध्ययन कर इस पुस्तक की रचना करना हर्ष का विषय है. प्रतिष्ठान ने 60 से अधिक पुस्तकों को प्रकाशित किया है. इस इतिहास को संजोये रखना आपका दायित्व है जो समाज में कई पुरुषार्थ को जन्म देगा, जिसासे समाज को संबल प्राप्त होगा. इस अवसर पर अतिथियों द्वारा 22 भामाशाहों का सम्मान भी किया गया. प्रताप शोध प्रतिष्ठान, भूपाल नोबल्स संस्थान द्वारा प्रकाशित ‘पुरावतो का इतिहास‘ पुस्तक के विमोचन अवसर पर विशिष्ट अतिथियों के साथ ही मोहब्बत सिंह रूपाखेड़ी, शक्ति सिंह कराई, राजेंद्र सिंह आदि उपस्थित थे. समारोह से पूर्व शोभायात्रा निकाल कर टाउन हाल परिसर में मुख्य अतिथि का पदार्पण हुआ. सर्वप्रथम समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह सालमपुरा ने स्वागत उद्बोधन दिया. मंत्री अजीत सिंह मंगरोप ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. संचालन डा अनिता राठौड़ ने किया जबकि धन्यवाद भोपाल सिंह देवली ने दिया. इस अवसर पर इतिहास प्रणेता उदय सिंह सालमपुरा, मंगरोप बाबा प्रद्युमन सिंह, डा युवराज सिंह झाला, गुरला बाबा चन्द्रवीर सिंह, आटून बाबा भंवर सिंह भी अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ उपस्थित थे.