शिलांग: राज्य केंद्रीय ग्रंथालय में लगे शिलांग पुस्तक मेले में जापानी लेखकों की पुस्तकों के प्रति रुचि देखी जा रही है. राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत द्वारा आयोजित इस पुस्तक मेले में सबके अपने-अपने अनुभव हैं. पैन मैकमिलन इंडिया के स्टाल पर सिपोन मिस्त्री ने बताया कि इस बार युवाओं के बीच जापानी लेखकों की पुस्तकों की मांग बहुत बढ़ी है. शिलांग पुस्तक मेले में यह उनके लिए बेहतरीन अवसर है कि भारत में ही उन्हें बड़े-बड़े विदेशी साहित्यकारों की पुस्तकें आसानी से मिल रही हैं. वे जापानी फिक्शन-नान फिक्शन को पसंद कर रहे हैं और सनका हिरागी, मीको कावाकामी, तोशिकाजू कावागुची और सोसुके नत्सुकावा जैसे मशहूर जापानी लेखकों की किताबों को अपने साथ ले जा रहे हैं. मिस्त्री आगे बताते हैं, “हमने पिछले साल बीटीएस की बियान्ड द स्टोरी की कई प्रतियां बेचीं. इस बार जापानी लेखकों को शीर्ष स्थान मिल रहा है. हालांकि अभी भी यह पुस्तक काफी लोकप्रिय है.” जापानी उपन्यासों को पढ़ने के साथ-साथ युवा वहां की सभ्यता, लोक संस्कृति और जीवन को भी किताबों के माध्यम से समझना चाहते हैं. नेशनल बुक एजेंसी के सुजीत सिंह बताते हैं कि शिलांग के युवा ‘इकिगाई: जापानी सीक्रेट टू लांन्ग एंड हैप्पी लाइफ‘ और ‘वाबी साबी: जापानी विजडम फार ए परफेक्टली इम्परफेक्ट लाइफ‘ जैसे जापानी साहित्य को पढ़ना चाहते हैं. इस बार इनकी काफी मांग रही.
लोकप्रिय जापानी लेखकों में से एक हारुकी मुराकामी के भी बहुत प्रशंसक हैं. कैम्ब्रिज बुक डिपो के अभिजीत डे के अनुसार, “फिलहाल मुराकामी की पुस्तकों की केवल कुछ प्रतियां ही बची हैं. उनकी किताबों की हमेशा से मांग रही है.” कालेज जाने वाली काटी नारो ने बताया कि उन्होंने इकिगाई और मुराकामी की ‘नार्वेजियन वुड‘ खरीदी. उन्होंने बताया कि मैं जापानी लेखकों की पुस्तकें पढ़ती हूं और मुराकामी की पुस्तकें मेरी पसंदीदा पुस्तकों में से एक हैं. मैं अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई लेखकों की पुस्तकें भी पढ़ती हूं. लेखिका अंजुम हसन के अनुसार, ”जापानी और कोरियाई किताबें शहरों में एक बड़ी पहचान बना चुकी हैं. मैंने भी जापानी उपन्यास पढ़ना शुरू किया है. मैंने अपनी मां को कुछ कोरियाई उपन्यास दिए और उन्हें वे बहुत पसंद आए.” भारत में जापानी लेखकों की पुस्तकों की बढ़ती मांग पर हसन कहती हैं कि पहले कई जापानी लेखकों को व्यापक रूप से पढ़ा जाता था, लेकिन उन्हें पहले अमेरिकी प्रेस ने खोजा और फिर बाकी अंग्रेजी बोलने वाली दुनिया ने. इसलिए हम बस पश्चिम में आई लहर का अनुसरण ही कर रहे हैं.” शिलांग पुस्तक मेले में कहानी-वाचन सत्र, पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता और राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय पर एक ओरियेंटेशन सेशन का आयोजन हुआ. शाम के समय युवाओं ने जैंतिया नृत्य और अहिया बैंड की धुन का आनंद लिया.