नई दिल्ली: “भारतीय भाषाएं राष्ट्र के प्राचीन इतिहास और पीढ़ियों से चली आ रही बुद्धिमत्ता का प्रमाण हैं. यह बात शिक्षा राज्य मंत्री डा सुकांत मजूमदार ने उच्च शिक्षा के लिए भारतीय भाषा में पाठ्यपुस्तकों के लेखन पर कुलपतियों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कही. कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और भारतीय भाषा समिति ने मिलकर किया था. मजूमदार ने कहा कि उच्च शिक्षा के विभिन्न  पाठ्यक्रमों के लिए भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री तैयार करने के महत्त्व पर प्रकाश डाला और कहा कि शिक्षा प्रणाली को देश की विशाल भाषायी विविधता को प्रतिबिंबित करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रों को उनकी मातृभाषा में ज्ञान प्राप्त हो. उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ियों का पोषण किया जाना चाहिए और समृद्ध सांस्कृतिक और भाषायी विरासत में उनके विश्वास को मजबूत किया जाना चाहिए. डा मजूमदार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 देश के युवाओं को राष्ट्र निर्माण में भाग लेने के लिए प्रेरित करने का आधार तैयार करती है. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन का नेतृत्व करने के लिए धर्मेंद्र प्रधान के प्रति आभार व्यक्त किया. इस अवसर पर शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव के संजय मूर्ति, भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष प्रो चामू कृष्ण शास्त्री, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार और 150 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति,  शिक्षाविद् और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

सत्र के दौरान प्रो चामू कृष्ण शास्त्री ने भारतीय भाषा संबंधी इकोसिस्टम विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और एम जगदीश कुमार ने कुछ मूल्यवान जानकारी साझा की. के संजय मूर्ति ने समापन सत्र के दौरान जिन तीन परियोजनाओं को शुरू किया, उनमें अस्मिता- अनुवाद और अकादमिक लेखन के माध्यम से भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री का संवर्धन; बहुभाषा शब्दकोष; और तत्काल अनुवाद के उपाय शामिल हैं. श्रोताओं को संबोधित करते हुए मूर्ति ने कहा कि इन सभी परियोजनाओं को आकार देने में प्रमुख भूमिका प्रौद्योगिकी की होगी, और एनईटीएफ और बीबीएस की इसमें बहुत बड़ी भूमिका होगी. यूजीसी के नेतृत्व में भारतीय भाषा समिति के सहयोग से ‘अस्मिता’ का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में 22 अनुसूचित भाषाओं में 22000 पुस्तकें तैयार करना है. भारतीय भाषा समिति के सहयोग से केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान के नेतृत्व में बहुभाषा शब्दकोष, बहुभाषी शब्दों का एक विशाल भंडार बनाने की एक व्यापक पहल है. भारतीय भाषा समिति के सहयोग से राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच के नेतृत्व में तत्काल अनुवाद के उपाय, भारतीय भाषा में तत्काल अनुवाद क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक तकनीकी ढांचे के निर्माण की सुविधा प्रदान करेगी. कुलपतियों को 12 मंथन सत्रों में बांटा गया था, जिनमें से प्रत्येक 12 क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों की योजना बनाने और विकसित करने के लिए समर्पित था. प्रारंभिक फोकस भाषाओं में पंजाबी, हिन्दी, संस्कृत, बंगाली, उर्दू, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, तमिल, तेलुगु और ओड़िआ शामिल थीं.