नई दिल्ली: “हमारे देश को अक्सर, और सही मायने में, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के कारण बौद्धिक संपदा की सोने की खान के रूप में उल्‍ल‍िखित किया जाता है.” उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजधानी स्थित राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय आईपी ला एंड मैनेजमेंट में संयुक्त मास्टर्स, एलएलएम डिग्री के पहले बैच को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि 5,000 वर्षों के हमारे सभ्यतागत लोकाचार को देखें. ज्ञान और बुद्धि हमारे भंडार में हैं. कोई भी राष्ट्र इस बात पर गर्व नहीं कर सकता कि वह हमारे ज्ञान के विकास के मामले में दूसरे स्थान पर है. रचनात्मकता और नवाचार की अपनी समृद्ध परंपरा के साथ भारत को एक मजबूत आईपी इकोसिस्‍टम से बहुत लाभ होगा. उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति होने के नाते मैं राज्य सभा का सभापति भी हूं. मैंने पाया कि बहुत से लोग वेदों के बारे में बात करते हैं, लेकिन उन्हें कभी भौतिक रूप में नहीं देखा. इसलिए मैंने शिक्षा मंत्री से अनुरोध किया कि वे संसद के प्रत्येक सदस्य को भौतिक रूप में वेद उपलब्ध कराएं. मैं आप सभी से निवेदन करता हूं कि आप अपने बिस्तर के पास भौतिक रूप में वेदों को रखें और मुझ पर विश्वास करें, आपको हर समस्या का समाधान मिल जाएगा और आप दिन-प्रतिदिन समृद्ध होते जाएंगे. भारतीय दर्शन, अध्यात्म और विज्ञान की नींव रखने वाले प्राचीन ग्रंथ वेद इस बौद्धिक खजाने के प्रमुख उदाहरण हैं. उन्होंने कहा कि वेदों और कई अन्य ग्रंथों सहित इन ग्रंथों में गणित और खगोल विज्ञान से लेकर चिकित्सा और वास्तुकला तक की कई अवधारणाएं समाहित हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आर्यभट्ट, विश्वकर्मा को ही देखिए, तो पाएंगे कि हमारे पास किस तरह का खजाना है. यह हमारी बौद्धिक संपदा है. यह बौद्धिक संपदा है, जिसका हमें मौद्रिकरण, संरक्षण, कायम रखना और प्रसार करना है. इससे हमारे लिए सम्‍पत्ति पैदा होगा. आयुर्वेद और योग जैसी भारत की पारंपरिक प्रथाओं को वैश्विक मान्यता मिली है, जो इन प्राचीन विचारों के व्यावसायीकरण की क्षमता को दर्शाता है. हमारे जैसे देश की कल्पना करें, जहां आयुर्वेद का प्रचलन है. हमारे पास आयुर्वेदिक मंत्रालय नहीं था; यह पिछले दस वर्षों में ही हुआ है, और दुनिया भर में कोई भी नहीं जानता था कि योग क्या है. जब तक भारतीय प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में जाकर आह्वान नहीं किया, तब तक दुनिया के अधिकांश देशों में योग के बारे में वैसे नहीं पता था. अब योग दिवस को वैश्विक मान्यता मिल चुकी है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि केवल ज्ञान ही नहीं दूसरे क्षेत्रों में भी हम समृद्ध हैं. भारत में भी लोकगीतों की विविधता है. देश के किसी भी हिस्से में जाएं. मुझे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल होने के नाते पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र का अध्यक्ष होने का सौभाग्य मिला, जो देश के पूर्वी हिस्से के लगभग दस राज्यों को कवर करता है. मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी, कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कला, लोकगीत, चित्रकला, संगीत और वाद्य-यंत्रों में इतनी समृद्धि होगी. इसलिए, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के ये रूप संभावित रूप से हमारे बौद्धिक संपदा परिदृश्य में योगदान दे सकते हैं.