नई दिल्ली: रूस के कजान में ब्रिक्स साहित्य सम्मेलन 2024 में भारत की साहित्यिक गतिविधियां जारी रहीं. इस आयोजन के कई कार्यक्रम ऐसे थे जिनमें भारत के प्रतिभागी भी शामिल हुए. इन कार्यक्रमों में भारतीय प्रतिभागियों के रूप में साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक और साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने भाग लिया. एक कार्यक्रम ‘ब्रिक्स साहित्य का भविष्य‘ नाम से था, जिसमें साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने साहित्य की एकीकृत प्रकृति के विभिन्न आयामों को प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि कैसे ब्रिक्स देशों के साहित्यिक सम्मेलनों को दुनिया भर में सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करने के लिए आवश्यक बनाया जा रहा है. श्रीनिवासराव ने उम्मीद जताई कि ऐसे सम्मेलनों से ब्रिक्स देशों की भाषाओं के परस्पर अनुवादों में वृद्धि होगी और इसके प्रति जागरूकता बढ़ेगी, जिससे सार्थक संवाद और उद्देश्यपूर्ण सांस्कृतिक आदान-प्रदान सुनिश्चित होगा.
एक और कार्यक्रम जिसमें भारत शामिल हुआ, उसका विषय था ‘इंटरनेट युग में पुस्तक मेलों पर चर्चा‘. इस विषय पर बोलते हुए के श्रीनिवासराव ने कहा कि डिजिटल युग में पुस्तक मेलों के आयोजन से पाठकों, लेखकों, प्रकाशकों को कई लाभ होते हैं. उन्होंने भारत के महत्त्वपूर्ण पुस्तक मेलों के साथ ही कुछ अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेलों जैसे फ्रैंकफर्ट अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला, शारजाह अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला और ग्वादलजारा अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला के बारे में भी बताते हुए कई उदाहरण प्रस्तुत किए. चर्चा में भाग ले रहे अन्य प्रतिभागियों ने व्यक्त प्रतिक्रियाओं की सराहना करते हुए कहा कि विचारों के ऐसे खुले आदान-प्रदान से ही सभी देशों के साहित्यिक समुदाय उपयुक्त सुधार की ओर अग्रसर हो सकते हैं. समापन सत्र में सभी प्रतिभागियों ने ब्रिक्स देशों के बीच और अधिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान की आशा व्यक्त की. एक कार्यक्रम में माधव कौशिक की एक हिंदी कविता पुस्तक की प्रस्तुति की गई, जिसका रूसी अनुवाद सोनू सैनी ने प्रस्तुत किया, जो भारत से आनलाइन कार्यक्रम में शामिल हुए थे. कार्यक्रम का संचालन के श्रीनिवासराव और अनास्तासिया स्ट्रोकिना ने किया. दूसरे कार्यक्रम में ‘अनुवाद के लिए कौन जिम्मेदार है?’ पर एक गोलमेज चर्चा हुई, जिसमें कई प्रतिष्ठित विद्वानों ने अपने विचार साझा किए.