नई दिल्ली: अपनी तरह के प्रथम ‘बोडोलैंड महोत्सव’ का इंदिरा गांधी स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने साहित्य अकादेमी  द्वारा लगाए गए बुक स्टाल का भी अवलोकन किया. ज्ञात हो कि दो दिवसीय इस उत्सव में बोडो समुदाय की सांस्कृतिक, भाषाई और साहित्यिक विरासत को विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा प्रदर्शित किया गया. ‘समृद्ध भारत के लिए शांति और सद्भाव’ के लिए समर्पित इस उत्सव में 5000 से भी अधिक बोडो प्रतिनिधि सहभागिता कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत में बोडो समाज बहुत अमूल्य संपदा और हमारी सांस्कृतिक धरोहर है. पूर्वोत्तर भारत विशेषकर असम में ये समाज बसता है. भारतीय सभ्यता की बहुविधता इसमें प्रकट होती है.

प्रधान ने कहा कि मैं बहुत ही प्रसन्न हूं बोडो साहित्य सभा के नेतृत्व में पहली बार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया… भारत की बहुविविधता देश के लोगों को मालूम होनी चाहिए. असम सांस्कृतिक दृष्टि से पहले ही बहुत धनी प्रांत है. याद रहे कि साहित्य अकादेमी द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाओं में बोडो भाषा भी शामिल है. जबसे भारत सरकार ने अपनी आठवीं अनुसूची में बोडो भाषा को शामिल किया है तबसे अकादेमी, साहित्य अकादेमी  पुरस्कार, अनुवाद पुरस्कार और 2010 से बाल साहित्य पुरस्कार एवं 2011 से युवा पुरस्कार भी प्रदान कर रही है. इसके अलावा अकादेमी बोडो भाषा में निरंतर नवीन प्रकाशन के साथ ही अकादेमी द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न प्रादेशिक और राष्ट्रीय कार्यक्रमों में बोडो भाषा के लेखकों और विद्वानों को भी शामिल करती है.