नई दिल्लीः भारतीय रंगमंच के नामी पुरस्कार समारोह महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्ड्स 'मेटा' के 15वें संस्करण की घोषणा हो चुकी है. तीन सप्ताह तक चलने वाले इस समारोह में 2019 की 'मेटा' बेस्ट ओरिजिनल स्क्रिप्ट 'अगरबत्ती' का पुस्तक रूप में लोकार्पण हुआ. वाणी प्रकाशन की साझेदारी में प्रकाशित 'अगरबत्ती' आशीष पाठक द्वारा लिखित और स्वाति दुबे द्वारा निर्देशित नाटक है. इस पुस्तक लोकार्पण के बाद 'बेहमई की विधवायें' सत्र आयोजित हुआ, जिसमें इला अरुण, सुनीत टंडन, अजित राय, आशीष पाठक और स्वाति दुबे ने भाग लिया. इन सभी ने अगरबत्ती नाटक पर अपने अनुभव सुनाए. नाटक के लेखक आशीष पाठक ने कहा कि इस नाटक का भूगोल सच्चा है मगर इसके पात्र काल्पनिक हैं. निर्देशक स्वाति दुबे ने कहा कि उनको भरोसा था कि यह नाटक लोगों पर गहरा प्रभाव डालेगा, मगर उन्हें यह आभास नहीं था कि इसकी पटकथा एक किताब की शक्ल में प्रकाशित होगी. थिएटर आलोचक अजित राय ने कहा कि आशीष पाठक ने हिंदी नाट्य क्षेत्र में एक नया ट्रेंड स्थापित किया है, जिसका अनुसरण आगे किया जाएगा. वाणी प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा कि रंगमंच पुस्तक प्रकाशन की प्रक्रिया की ही तरह सबसे अधिक सहयोगी और लोकतांत्रिक कला रूप है. यह हमारी सभ्यता के ताने बाने का प्रतिनिधित्व करता है.
जाति, लिंग, वर्ग संघर्ष और राजनीति की दिलचस्प कहानी 'अगरबत्ती' दस्यु रानी फूलन देवी और उसके गिरोह द्वारा शुरू किये गये बेहमई नरसंहार पर आधारित है, जो ठाकुर के आदमियों द्वारा उसके सामूहिक बलात्कार का बदला लेने के लिए किया गया था. इस नरसंहार में मारे गये ठाकुरों की विधवाओं को रोज़गार देने के उद्देश्य से सरकार ने गाँव में अगरबत्ती का एक कारखाना खोला. उन विधवाओं में से एक लाला राम ठकुराइन, अपने पति की अस्थियों का विसर्जन तब तक नहीं करती जब तक कि फूलन देवी को मार नहीं दिया जाता. नाटक इस पर भी सवाल उठाता है कि जब फूलन अपना बदला लेती है तो ठाकुरों की पत्नियों पर क्या बीतती है. महिलाओं के समूह द्वारा नृत्य और संगीत के साथ जब नाटक शुरू होता है तो गोलियों की तड़तड़ाहट से सब सिहर जाते हैं. नाटक पितृसत्ता, जाति, वर्ग-संघर्ष और राजनीति पर सवाल उठाता है. जब दस्यु क्वीन अपना बदला लेती है तो ठाकुरों के घरों में 24 महिलाएं विधवा हो जाती हैं. कहानी की शुरुआत होती है फूलन की मौत के बाद जो घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में उसकी उलझनों और परिणामों को दर्शाती है. महिंद्रा ग्रुप द्वारा अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने हेतु, टीमवर्क आर्ट्स द्वारा क्यूरेट किया गया 'मेटा पुरस्कार' रंगमंच की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियों और प्रदर्शनों के साथ-साथ  निर्माताओं और कलाकारों को एक नई पहचान दिलाता है. मेटा के 15वें संस्करण की अवॉर्ड सेरेमनी कोविड महामारी के कारण इस बार वर्चुअल होगी.