नई दिल्ली: प्रतिष्ठित फ्रैंकफर्ट अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले के 75वें संस्करण के पहले दिन साहित्य अकादेमी ने विभिन्न देशों के कई प्रकाशकों के साथ संपर्क किया और दो साहित्यिक कार्यक्रम भी आयोजित किए. साहित्य अकादेमी के सचिव डा के श्रीनिवासराव द्वारा संचालित पहले कार्यक्रम ‘भारत की साहित्यिक विरासत‘ पर परिचर्चा में तीन प्रख्यात विद्वान प्रो बद्री नारायण, प्रो धनंजय सिंह और विश्वास पाटिल ने शिरकत की. वक्ताओं ने भारतीय साहित्यिक परंपराओं के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और विस्तार से भारत की महान सभ्यता और संस्कृति के आधार की चर्चा की. इस दौरान भारतीय साहित्य की विशिष्टता, भारतीय संस्कृति की विविधता और भारत की स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों पर भी गंभीर विमर्श सामने आया.
परिचर्चा के दौरान भारतीय ज्ञान प्रणालियों के संवर्धन में मौखिक परंपराओं की भूमिका, भारत का दार्शनिक और धार्मिक साहित्य, अनुवाद, समकालीन भारतीय साहित्य आदि के विभिन्न पक्षों पर व्यापक बातचीत हुई. दूसरा कार्यक्रम ‘लेखक से भेंट‘ के नाम से था. इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रख्यात मराठी लेखक और विद्वान विश्वास पाटिल ने अपने ऐतिहासिक कथा लेखन, ग्रामीण भारत, अण्णा भाऊ साठे, भारतीय साहित्यिक परंपराओं, दलित लेखन और समकालीन मराठी साहित्य के बारे में विस्तार से अपनी बात रखी. साहित्य अकादेमी ने इस पुस्तक मेले में अपने 100 प्रकाशनों को अनुवाद और कापीराइट के लिए उपलब्ध कराया है.