नई दिल्ली: हिंदी साहित्य के शताब्दी रचनाकार डा रामदरश मिश्र के शतक पूरा होने पर एक शताब्दी समारोह आयोजित हुआ. भारतीय साहित्य, विशेषकर हिंदी साहित्य और साहित्यकारों के लिए यह एक विलक्षण घटना थी. इस महत्त्वपूर्ण अवसर पर ‘रामदरश मिश्र न्यास’ ने गुरु गोविन्द सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के सभागार में जन्म शताब्दी समारोह मनाया. आयोजन का आरंभ नीलम चतुर्वेदी द्वारा मिश्र के जीवन पर केंद्रित एक लघु फिल्म दिखा कर किया गया. इसके बाद इनके साहित्य को तकनीक से जोड़ने हेतु बनाई गई वेबसाइट का लोकार्पण भी मिश्र द्वारा किया गया. कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित पद्मश्री से सम्मानित रचनाकार अशोक चक्रधर ने अपने संबोधन में डा रामदरश मिश्र के शतायु होने की घटना और उनके जीवन के साथ ही उनकी परंपरा पर प्रकाश डाला. सुरेश ऋतुपर्ण ने प्रशस्ति पाठ किया. उन्होंने मिश्र के व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए बताया कि आपने केवल एक सफल जीवन ही नहीं बल्कि एक सार्थक जीवन जिया है और इसी कारण उनका जीवन इतना प्रेरणादायक है.
याद रहे कि 15 अगस्त, 1924 को उत्तर प्रदेश के डुमरी गांव में जन्मे रामदरश मिश्र हिंदी साहित्य के अपनी तरह के अनूठे रचनाकार हैं, जिन्होंने हर विधा में लिखा. उनकी बौद्धिक उत्तराधिकारी तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के खालसा कालेज की प्रोफेसर डा स्मिता मिश्र ने अपने स्वागत वक्तव्य से कार्यक्रम को आगे बढ़ाया. उन्होंने कहा कि मिश्र जी वास्तव में शताब्दी के सहचर हैं. उनकी रचना यात्रा पराधीन भारत से स्वाधीन भारत की है और स्वाधीन भारत से 21वीं सदी की है. उन्होंने रामदरश मिश्र न्यास, वेबसाइट, न्यास द्वारा गठित ‘रामदरश मिश्र शताब्दी सृजन सम्मान’ के विषय में विस्तृत जानकारी दी. इस अवसर पर मिश्र पर केंद्रित विभिन्न पुस्तकों का लोकार्पण हुआ, जिनमें सर्व भाषा ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित ‘हम हो गए स्वयं खुशबू घर’, रामदरश मिश्र की प्रेम कविताएं, इंद्रप्रस्थ प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ‘आज धरती पर झुका आकाश’ रामदरश मिश्र का गजल समग्र, सर्व भाषा ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित एवं ओम निश्चल द्वारा सम्पादित ‘मैं आषाढ़ का पहला बादल’ आदि प्रमुख हैं. इस अवसर पर कार्यक्रम को सुचारू रूप से संपन्न कराने तथा वेबसाइट और सोशल मीडिया में अहम भूमिका निभाने वाली टीम का अभिनंदन किया गया जिसमें सन्नी गोंड, वैशाली, रविशंकर सिंह, प्रियांशु प्रियदर्शी, अनन्या कुमारी तथा योगिता शर्मा शामिल थे. कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों, निर्णायक मंडल के सदस्यों के अलावा राजू लामा, डा वेद मित्र शुक्ल, अंजलि तिवारी के साथ बड़ी संख्या में डा मिश्र के प्रशंसक श्रोता उपस्थित थे.