बेगूसराय: कथा सम्राट मुशी प्रेमचंद का 139 वीं जयंती को प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस), जनवादी लेखक संघ(जलेस) और जन संस्कृति मंच(जसम) से संयुक्त रूप से समारोहपूर्वर मनाया। आयोजन स्थानीय देशरत्न पब्लिक स्कूल के प्रांगण में था। इस अवसर पर 'वर्तमान परिवेश मे प्रेमचंद' विषयक संगोष्ठी रखी गई। विषय प्रवतर्तन करते हुए प्रलेस के जिला अध्यक्ष प्रोफेसर सीताराम प्रभंजन ने कहा कि प्रेमचंद मानवीय संवेदना के कथाकार थे. उन्होने कहानी के तिलिस्म को तोडते हुए मानवीय जीवन को अपनी रचनाओँ में लाकर उसका थार्थपरक चित्रण किया। प्रलेस के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र राजन ने प्रेमचंद की कहानी 'ठाकुर का कुआ' को संदर्भित करते हुए कहा " ब्राह्मणवाद और अपृश्यता की ओर जो मुशी प्रेमचंद ने इशारा किया था, उसे शासकवर्ग फिर से थोप रहा है. पूजीवादी ब्यवस्था ने देश को अंधराष्ट्रवादी संस्कृति के सहारे बाजार मे तब्दील कर रही है. जसम के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य दीपक सिन्हा ने कहा कि " प्रेमचंद ने कई आलेख लिखे है जिससे वर्तमान ब्यवस्था को समझने मे आसानी होती है, साम्प्रदायिकता के सवाल पर 1934 मे लिखे गये उनके लेख आज भी मौजूं है।
आलोचक भगवान प्रसाद सिन्हा ने कहा 'फासीवादी दौर मे प्रेमचंद का साहित्य ही लडने का रास्ता दिखाता है. फ्रांसीसी राज्यक्रांति हो या भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सबों की लडाई साहित्य की कसौटी पर लडी गई है" जलेस जिला अध्यक्ष राजेन्द्र साह ने कहा " प्रेमचंद के कहानियो के पात्र आज भी भारत के खेत खलिहान, गाव शहर मे मिलते है व पूस की रात मे छोटे किसान आज भी ठंढ से मर रहे हैं,आज भी महाजनी प्रथा चल रही है लेकिन बदले हुये स्वरुप के साथ | "
अध्यक्षता वरिष्ठ रंगकर्मी व साहित्यकार अनिल पतंग कर रहे थे. इस मौके पर युवा साहित्यकार मुचकुंद, गुन्जेश, राम कुमार.ईश्वर जी, वरिष्ठ कवि दीनानाथ सुमित्र, रंगकर्मी सचिन, मोहित व पब्लिक स्कूल के छात्र व शिक्षकगण मौजूद थे. कार्यक्रम देशरत्न पब्लिक स्कूल के निदेशक अरुण झा के सौचन्य से सफल हुआ.