नई दिल्ली: “यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि सभ्यताएं संस्थाओं और अपने नायकों के आदेशों से जीवित रहती हैं. शिक्षा के क्षेत्र में नालंदातक्षशिला और ज्ञान तथा शिक्षा के कई अन्य वैश्विक दीपों की कल्पना करें. इस विश्वविद्यालय की स्थापना राजा महेंद्र प्रताप सिंह को अमर बनाने की दिशा में एक सही कदम हैजो अन्य लोगों की तरह एक नायक थेजिन्हें हमारे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान मिलना चाहिए था.”  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अलीगढ़ के राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में छात्रों एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने 1915 में काबुल में भारत की पहली अनंतिम सरकार की स्थापना कीजो कि अंग्रेजों द्वारा 1935 के भारत सरकार अधिनियम की कल्पना करने से दो दशक पहले की बात थी. यह एक बहुत बड़ा प्रयास और स्वतंत्रता की घोषणा का एक विचार थाजो हमें बाद में मिला और उन्हें संसद सदस्य बनने का अच्छा अवसर मिला. हम आज एक स्वतंत्र वातावरण में उनके जैसे नायकों द्वारा किए गए बलिदानों के कारण ही फल-फूल रहे हैं. दुर्भाग्य से ऐसे महान नायकों की प्रेरक कहानियों का हमारी पाठ्यपुस्तकों में अब तक संक्षिप्त या कोई उल्लेख नहीं किया गया है. स्वतंत्रता के इतिहास में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अडिग लोगों को श्रेय ना दिया जाना अत्यंत दुखद हैं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम के असली नायकों के बारे में जागरूक करना हमारा परम कर्तव्य है. इतिहासकारों की अगली पीढ़ी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान ने इस पीढ़ी को प्रेरित किया हैं. हाल के दिनों में पूरे देश में अपने गुमनाम और सुप्रसिद्ध नायकों को याद किया जाना एक सुखद अनुभूति हैं.

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि 1990 में डा बीआर अंबेडकर को भारत रत्न का सर्वोच्च नागरिक सम्मान वर्ष 2023 में चौधरी चरण सिंह और कर्पूरी ठाकुर को दिया जाना सही दिशा में उठाया गया कदम है. मुझे दोनों ही मौकों पर संसद के रंगमंच पर रहने का सौभाग्य मिला. 1990 में मैं केंद्रीय मंत्री था और अब मैं उपराष्ट्रपति और राज्यसभा का सभापति हूं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं. एक महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भगवान बिरसा मुंडा के बारे में जानकर आप उत्साहित होंगे और उनसे प्रेरणा लेंगे. वह युवावस्था में ही शहीद हो गएलेकिन हमारे स्वतंत्रता संग्राम पर अमिट छाप छोड़ गए. यह दिन वीर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की याद को समर्पित है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां और वर्तमान पीढ़ी उनके बलिदानों और इस देश के बारे में जान सके. उपराष्ट्रपति ने कहा कि इसी तरहएक और महान नायकनेताजी सुभाष चंद्र बोस जिसे उचित स्थान नहीं दिया गयाजो देश के लिए अदम्य साहस और निस्वार्थ सेवा के धनी थे. सरकार ने हर साल 23 जनवरी को उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है और यह सही भी है. जब मुख्य समारोह आयोजित किया गयातो मुझे फिर से सौभाग्य और सम्मान प्राप्त हुआ. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रवाद के प्रति हमारी प्रतिबद्धता हमेशा अडिग और सर्वोच्च होनी चाहिए. राष्ट्र से ऊपर कुछ नहीं है. राष्ट्रीय हमारा धर्म हैनिजी हित या कोई भी हित हो राष्ट्रहित से ऊपर नहीं रह सकता यही हमारा संकल्प होना चाहिएयही हमारी संस्कृति का निचोड़ है.