नई दिल्लीः साहित्य अकादमी ने अपने प्रतिष्ठित कार्यक्रम 'प्रवासी मंच' कार्यक्रम के अंतर्गत डेनमार्क से पधारी प्रख्यात हिंदी लेखिका अर्चना पैन्यूली ने अपनी कहानी 'सिंगल मदर से सुपर मदर' प्रस्तुत की. कहानी एक अनब्याही माँ की थी, जिसने वैज्ञानिक तकनीक से एक बच्चे को जन्म दिया. इस कहानी में समाज की वर्जनाओं के विरुद्ध अंतर्द्वंद्वों और मनुष्य की निज की गरिमा को प्रस्तुत किया गया था. इस कहानी को लिखने की प्रेरणा के बारे में बताते हुए अर्चना पैन्यूली ने कहा कि उन्होंने डेनमार्क में कई परिचित महिलाओं को 'सिंग्ल मदर' बनने के लिए उपयोग में लाए गए तकनीकी साधनों के बारे में जानकारी प्राप्त की थी. वहां के समाज में 'सिंगल मदर' को बहुत सहजता के साथ स्वीकार कर लिया गया है.
इस कार्यक्रम में अर्चना पैन्यूली के कहानी पाठ के बाद प्रख्यात आलोचक कमल किशोर गोयनका ने कहा कि कहानी बहुत अलग तरह की है और भारतीय समाज में अभी इस तरह की स्थितियों के लिए स्वीकार्यता बहुत कम है. अन्य श्रोताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि समाज में, इस कहानी में जैसी भावनाएं व्यक्त हुई हैं, ऐसी स्थितियां और व्यक्ति उपस्थित हैं तथा कथाकार का एक दायित्व यह भी होता है कि वो समाज की सच्चाई को भी प्रस्तुत करे. अर्चना पैन्यूली की कहानी इस दायित्व का बखूबी निर्वाह करती है. कार्यक्रम में सुरेश ऋतुपर्ण, इला कुमार, माधुरी सुबोध, प्रतिपाल कौर, सरोजनी नौटियाल, डेनमार्क में उनके संपर्क में रहे वहां के पूर्व राजदूत की पत्नी चेतना, वहां के प्रथम सचिव थपलियाल एवं नीना गुप्ता उपस्थित थे. उनके परिवार से उनके पति एवं बेटी भी कार्यक्रम में थे. कार्यक्रम में साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव भी उपस्थित थे. संचालन अकादमी के संपादक हिंदी अनुपम तिवारी ने किया.