रायपुरः स्थानीय सर्किट हाउस के सभाकक्ष में छत्तीसगढ़ी भाखा अउ साहित्य के तिहार कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस अवसर पर साहित्य, भाषा, बोली पर परिचर्चा और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुआ. परिचर्चा में ‘सरगुजा, बस्तर की बोली’, ‘छत्तीसगढ़ी लेखन’, ‘छत्तीसगढ़ी प्रकाशन’, ‘चिन्हारी’, डिजिटल मीडिया में छत्तीसगढ़ी’, ‘छत्तीसगढ़ी सिनेमा’ आदि विषयों पर चालीस से अधिक विद्वानों ने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम का आरंभ पद्मश्री से सम्मानित मदन चौहान, डॉ भारती बंधु,अनूप रंजन पाण्डेय, उषा बारले आदि द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ. विविध विषयों पर दिन भर चली व्याख्यान माला का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी विजय मिश्रा ‘अमित’ ने किया. उन्होंने इस दौरान छत्तीसगढ़ी कहावत, पहेलियां, लोककला, संस्कृति की जानकारी मोहक अंदाज में दी. प्रभावी संचालन शैली-संवाद हेतु प्रभा खेतान फाउंडेशन कोलकाता की कार्यकारी न्यासी अनिंदिता चटर्जी ने विजय मिश्रा को सम्मानित किया. यह कार्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के फाउंडेशन के आखर अभियान का हिस्सा है.
साहित्यिक व्याख्यान माला में डॉ सुधीर पाठक, रूद्र नारायण पाणिग्रही, डॉ चितरंजन कर, राहुल सिंह, संजीव तिवारी ने सूत्रधार की भूमिका का निर्वहन किया. डॉ परदेशी राम वर्मा, रामेश्वर वैष्णव, मीर अली मीर, अरुण निगम, फिल्म निर्देशक सतीश जैन, गीतेश अमरोहित, काशीराम साहू, आकाश महेश्वरी आदि ने छत्तीसगढ़ी बोली के उन्नयन-संवर्धन की संभावना और दशा-दिशा पर रोचक विचारों की अभिव्यक्ति दी. कार्यक्रम में प्रस्तुत बांस गीत, मोहरी वादन, रामनामी समाज का भजन और चेतन देवांगन की पंडवानी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम में अभिकल्प फाउंडेशन के गौरव शुक्ला, अहसास वूमेन आंचल गरचा ने स्वागत उद्बोधन दिया. इनके साथ ही डॉ गरिमा तिवारी, सृष्टि त्रिवेदी, कीर्ति कृदत्त, दीपाली भसीन ने विशिष्ट जनों का स्वागत किया. छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग, छग पर्यटन मंडल और श्री सीमेंट का भी विशेष सहयोग आयोजन में रहा.