पटना: महाराजा कॉम्प्लेक्स स्थित टेक्नो हेराल्ड में साहित्यिक संस्था ‘जनशब्द’ द्वारा जर्मन के प्रसिद्ध कवि बर्तोल्त ब्रेख़्त पर केंद्रित समारोह का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित था। पहला सत्र ‘आज के समय में ब्रेख़्त’, जबकि दूसरा सत्र ब्रेख़्त को समर्पित कवि-सम्मेलन का था। कार्यक्रम का आग़ाज़ कथाकार राणा प्रताप द्वारा सम्पादित पत्रिका ‘कथांतर’ के ब्रेख़्त अंक के लोकार्पण से हुआ। तत्पश्चात् ब्रेख़्त पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने गंभीर विचारों को श्रोताओं से साझा किया।
समता राय ने कहा " ब्रेख़्त आज के समय में पहले से अधिक प्रासंगिक हैं, क्योंकि आज हमारे सामने फ़ासीवादी शक्तियां अधिक सक्रिय हैं। " वरिष्ठ कवि श्रीराम तिवारी ने ब्रेख़्त को एक ऐसी मशाल बताया जो पहले से हमारे लिए अधिक ज़रूरी है। मुख्य वक़्ता कथाकार राणा प्रताप ने विस्तार से ब्रेख़्त के कवि और नाटककार जीवन पर प्रकाश डाला " ब्रेख़्त सिर्फ़ एक कवि या नाटककार ही नहीं थे अपितु पूरी दुनिया के लिए प्रतिरोध की संस्कृति के संवाहक थे। " इस अवसर पर वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज, कथाकार शेखर, रंगकर्मी जयप्रकाश, कवयित्री रानी श्रीवास्तव, कवि सुजीत वर्मा आदि ने भी ब्रेख़्त के साहित्यिक जीवन को रेखांकित किया।
दूसरे सत्र में पटना और आसपास से आए चर्चित कवियों ने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया, जिनमें शिवनारायण, विजय प्रकाश, शहंशाह आलम, राजकिशोर राजन, अरविन्द पासवान, सुजीत वर्मा, रोहित ठाकुर, एम के मधु, पूनम सिन्हा श्रेयसी, वीणा बेनीपुरी, अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, श्वेता शेखर, अमीर हमज़ा, केशव कौशिक, लता प्रासर, अभिषेक कुमार आदि शामिल रहे।