नई दिल्ली: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने पृथ्वी भवन मुख्यालय में अपना 18वां स्थापना दिवस मनायाजो पृथ्वी प्रणाली विज्ञान में करीब दो दशकों के महत्त्वपूर्ण योगदान का प्रतीक है. मंत्रालय ने इस अवसर पर अपने विविध प्रकाशनों के बारे में जानकारी दी. इस सूची में 14वें भारतीय आर्कटिक अभियान पर एक समेकित रिपोर्ट, ‘भारत में चक्रवात चेतावनी‘ पर मानक संचालन प्रक्रियाएमओईएस न्यूज़लैटरसमुद्री जैव विविधता दस्तावेजीकरण और संरक्षण प्रयास आदि शामिल हैं. याद रहे कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालयजिसकी स्थापना 27 जुलाई, 2006 को हुई थीवैज्ञानिक अनुसंधान और सेवाओं के मामले में सबसे आगे रहा है. पृथ्वी प्रणाली विज्ञान के सभी क्षेत्रों में इस मंत्रालय की उपलब्धियां फैली हुई हैं: वायु या वायुमंडलजल या जलमंडलभूमि या स्थलमंडलठोस जमीन या क्रायोस्फीयरजीवन या जीवमंडल और उनकी पारस्परिक क्रियाएंजो वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी प्रगति के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है.  पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के 18वें स्थापना दिवस समारोह की शुरुआत एक उद्घाटन समारोह के साथ हुईजिसमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारियोंवैज्ञानिकोंकर्मचारियों और प्रमुख हितधारकों सहित विशिष्ट अतिथियों ने हिस्सा लिया

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को मौसमजलवायुमहासागर और तटीय स्थितिजल विज्ञानभूकंप विज्ञान और प्राकृतिक आपदाओं के लिए सेवाएं प्रदान करनेस्थायी तरीके से समुद्री सजीव और निर्जीव संसाधनों की खोज और उनका दोहन करनेपृथ्वी के ध्रुवों- आर्कटिक और अंटार्कटिक और हिमालय का अन्वेषण करने तथा समुद्री संसाधनों और सामाजिक अनुप्रयोगों के अन्वेषण के लिए समुद्री प्रौद्योगिकी विकसित करने का दायित्व सौंपा गया है. इस अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद मुख्य अतिथि थे. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डा एम रविचंद्रन ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और उनके सहयोगियों को बधाई दी. उन्होंने कहा, ‘हम पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की स्थापना के 19वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैंहमें अब तक की अनेक उपलब्धियों पर गर्व है और हमें आगे आने वाली चुनौतियोंखासकर खाद्यजलऊर्जास्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तनसे निपटने के लिए भी कमर कस लेनी चाहिएजो हमेशा प्रासंगिक हैं. हम विज्ञान में जो भी काम कर रहे हैंहमें उनको अपने लोगों के लिए सेवाओं में बदलने के लिए अच्छे विज्ञान के आदर्श वाक्य का पालन करना चाहिएताकि समाज का लाभ हो सके.