नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित किए जा रहे पुस्तक मेले पुस्तकायन का पूरा एक दिन बच्चों के नाम रहा. यह पूरा दिन बच्चों द्वारा प्रस्तुत कहानियों और शाम को लघु कथाओं के बीच संपन्न हुआ. बच्चों में पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिदिन प्रतियोगिताओं का आयोजन किए जाने की शृंखला में कहानी-पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसमें छह विद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लिया. कहानी प्रतियोगिता के निर्णायक प्रख्यात बाल लेखक अनिल जायसवाल थे. सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत हिंदुस्तानी गायन ऋषिकेश मलिक द्वारा और कुचीपुड़ी नृत्य साहिती पेंडियाला द्वारा प्रस्तुत किया गया. शाम को आयोजित पुस्तक चर्चा में अकादेमी की विशिष्ट प्रकाशन शृंखला के अंतर्गत अमरनाथ झा के चयनित निबंधों की प्रकाशित पुस्तक पर उदय नारायण सिंह, हरीश त्रिवेदी और ललित कुमार ने चर्चा की. हरीश त्रिवेदी ने कहा कि अमरनाथ झा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्वर्णिम युग के आर्किटेक्ट और आइकान थे.

इस कार्यक्रम में उदयनारायण सिंह ने कहा कि अमरनाथ झा मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा के हिमायती थे, लेकिन साथ ही हिंदी और अंग्रेजी के ज्ञान को आवश्यक समझते थे. ललित कुमार ने अमरनाथ झा की पारिवारिक एवं सामाजिक विरासत एवं परम्परा का संक्षेप में परिचय दिया. लघुकथा पाठ प्रख्यात लेखक बलराम की अध्यक्षता में संपन्न हुआ, जिसमें अशोक भाटिया ने ‘लोक और तंत्र’, ‘चुनाव’ और ‘नमस्ते की वापसी’ शीर्षक से अपनी कहानियां प्रस्तुत कीं. चेतन त्रिवेदी की कहानियों के शीर्षक थे – ‘अल्फ्रेड पार्क’, ‘ईश्वर के लिए’ एवं ‘धर्म पुस्तक’. अशोक जैन ने ‘अब और नहीं’, ‘समर्पण एवं पोस्टर’ शीर्षक से कहानियाँ प्रस्तुत कीं. महेश दर्पण की कहानियों के शीर्षक थे ‘जीवित-मृत’, ‘लाइक’ एवं ‘रोबोट’. अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ लेखक बलराम ने लघुकथा के वर्तमान परिदृश्य पर टिप्पणी की तथा ‘मसीहा की आंखे’ शीर्षक से लघुकथा का पाठ किया.