नई दिल्लीः भारत की धार्मिक मान्यताओं में भगवान शिव ज्योतिर्लिंगम पुरातन काल से श्रद्धेय रहे हैं. इन 12 ज्योतिर्लिंगों में सुदूर दक्षिण का ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम में, जबकि सुदूर उत्तर का ज्योतिर्लिंग हिमालय में उत्तराखंड के केदारनाथ में स्थित है. ये मंदिर पुराणों की किंवदंतियों के साथ निकटता से जुड़े हुए हैं तथा इतिहास और परंपरा की दृष्टि से समृद्ध हैं. पर्यटन मंत्रालय ने 'देखो अपना देश' पहल के अंतर्गत 'महाराष्ट्र के ज्योतिर्लिंगम मंदिर' पर वेबिनार का आयोजन किया, जिसकी प्रस्तुति गाइड उमेश नामदेव जाधव ने की. उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर, घृष्णेश्वर, औंढा नागनाथ और परली वैजनाथ शामिल हैं. त्र्यंबकेश्वर या त्रियंबकेश्वर ज्योतिर्लिंगम नासिक से 28 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है. स्थापत्य की दृष्टि से यह मंदिर नागर शैली में काले पत्थरों से निर्मित है और विशाल प्रांगण से घिरा हुआ है. इसके गर्भगृह की संरचना आंतरिक रूप से वर्गाकार तथा बाहरी रूप से तारकीय है, जिसमें एक छोटा शिवलिंग – त्र्यंबक है. शिवलिंग गर्भगृह के फर्श से निचाई में स्थित है. शिवलिंग के ऊपर से सदैव जल निकलता रहता है. आमतौर पर शिवलिंग चांदी के मुखावरण से ढका रहता है और त्योहार के अवसर पर उसे पांच मुखों वाले सुनहरे मुखावरण से सुसज्जित किया जाता है. प्रत्येक मुख पर सोने का मुकुट होता है. इस मंदिर की संरचना बहुत ही गरिमामय और समृद्ध है.
भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र की सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो देश भर से श्रद्धालुओं को आकृष्ट करता है. पुणे जिले में स्थित यह मंदिर भारत के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है. यह भीमा नदी का उद्गम स्थल भी है. भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर राक्षस का वध करने की कथा से इस मंदिर का करीबी नाता है. कहते हैं कि शिव ने देवताओं के अनुरोध पर भीम रूप में सह्याद्री पहाड़ियों के शिखर पर निवास किया था और युद्ध के बाद उनके शरीर से निकलने वाले पसीने से भीमरथी नदी का निर्माण हुआ था. यह मंदिर वास्तुकला की नागर शैली में निर्मित है. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंगम औरंगाबाद में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था. घुश्मेश्वर के नाम से भी विख्यात इसकी पुरातात्विक पुरातनता 11वीं-12वीं ईसवी की है. इस मंदिर के नाम का उल्लेख शिव पुराण और पद्म पुराण में भी मिलता है. मंदिर वर्तमान में उसी स्वरूप में है, जिस स्वरूप में इसे रानी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया था. यह मंदिर लाल पत्थरों निर्मित से है और इसका शिखर पांच स्तरीय नागर शैली का है. मंदिर का लिंग पूर्वमुखी है, इसके गर्भगृह में 24 स्तंभ हैं, जिन पर भगवान शिव के बारे में कई किंवदंतियों और कहानियों को सुंदर नक्काशी के साथ उकेरा गया है. औंढा नागनाथ ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में स्थित 13वीं सदी का मंदिर है. औंढा नागनाथ को सर्वश्रेष्ठ ज्योतिर्लिंग माना जाता है. इसे पांडवों द्वारा स्थापित प्रथम या 'आद्य' लिंग माना जाता है. 'नागनाथ' का मंदिर वास्तुकला की हेमाड़पंथी शैली में बनाया गया है. मंदिर का निर्माण देवगिरि के यादवों द्वारा किया गया था. मंदिर में सुंदर मूर्तिकला की सजावट है. परली वैजनाथ के ज्योतिर्लिंगम मंदिर को वैद्यनाथ भी कहा जाता है और इसका जीर्णोद्धार रानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था. इस मंदिर का निर्माण एक पहाड़ी पर पत्थरों से किया गया है. यह मंदिर भूमि के स्तर से लगभग 75-80 फुट की ऊंचाई पर है. मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व में है और उसके भव्य द्वार पर पीतल की परत चढ़ाई गई है. चार मजबूत दीवारों से घिरे इस मंदिर में गलियारे और आंगन है.