मुंबई: भारतीय साहित्य में अपने अनूठे स्थान और मराठी साहित्य में पितामह की भूमिका वाले अण्णा भाऊ साठे की पुण्यतिथि पर वृहन्मुंबई महानगरपालिका और लोकशाहिर अण्णा भाऊ साठे स्मारक कृति समिति द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सांसद वर्षा गायकवाड़ ने अण्णा के साहित्यिक योगदान की सराहना करते हुए उनके विचारों और लेखन को याद किया. इस मौके पर अण्णा भाऊ साठे के समर्थकों ने उनकी प्रतिमा पर फूलों की माला पहनाकर उन्हें नमन किया और उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों को याद किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सांसद वर्षा गायकवाड ने कहा कि महाराष्ट्र साधु-संतों, समाज सुधारकों और महापुरुषों की भूमि है. राज्य छत्रपति शिवाजी महाराज, राजर्षि शाहू महाराज, महात्मा फुले, महापुरुष डा बाबासाहेब अम्बेडकर जैसे महापुरुषों के विचारों पर चल रहा है और इसी पावन भूमि पर लोकतांत्रिक अण्णा भाऊ साठे का जन्म हुआ. अण्णा भाऊ साठे ने अपनी कलम से समाज को हकीकत दिखाई. उन्होंने अपनी कहानियों और कादंबरी के माध्यम से सामाजिक, राजनीतिक और परिस्थिति को लोगों के सामने प्रस्तुत करते हुए मानवीय संबंधों की जटिलताओं का भी वर्णन किया है. उन्होंने कहा कि अण्णा भाऊ साठे का साहित्य परिवर्तन का उत्प्रेरक रहा है. महाराष्ट्र के समग्र निर्माण और परिवर्तन में अण्णा भाऊ साठे के साहित्य का महत्त्वपूर्ण योगदान है.
मुंबई कांग्रेस की अध्यक्ष व सांसद वर्षा गायकवाड ने आगे कहा कि अण्णा भाऊ साठे ने अपने लेखन के माध्यम से वास्तविक जीवन का एक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया. उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करना सिखाया और राज्य के सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान दिया. इसलिए महापुरुषों द्वारा स्थापित आदर्शों का पालन किया जाना चाहिए और उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर सिर्फ माला पहनाने तक ही सीमित न रहकर उनके विचारों से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए. साहित्य रत्न डेमोक्रेट अण्णा भाऊ साठे ने अपना जीवन मानवता और शोषण से मुक्ति के लिए समर्पित कर दिया. इस अवसर मुंबई कांग्रेस और साहित्य रत्न ‘लोकतांत्रिक अण्णा भाऊ साठे स्मारक समिति’ की ओर से एक बार फिर से उन्हें भारतरत्न पुरस्कार देने की मांग की गई. कार्यक्रम में राकांपा नेता रवींद्र पवार, पूर्व नगरसेविका आशाताई मराठे, जिला अध्यक्ष फकीरा उकंडे, दक्षिण मध्य मुंबई जिला कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कचरू यादव, सरोजनी सकटे, देवेन्द्र खालसे, सुदाम अवाडे सहित अन्य पदाधिकारी व सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे. याद रहे कि अण्णा भाऊ साठे का असली नाम डा तुकाराम भाऊराव साठे था. आप लोक कवि, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता थे. आपने दलितों के उत्थान के लिए काम किया और महाराष्ट्र राज्य के गठन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.
आपने मराठी भाषा में लगभग 35 उपन्यास, 15 कहानी-संग्रह, भारतीय और गैर-भारतीय भाषाओं की 27 पुस्तकों का अनुवाद, नाटक, रूस पर यात्रा-वृत्तांत, 12 पटकथाएं और मराठी की पोवाड़ा शैली में 10 गाथागीत भी लिखे थे.