शिमलाः हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच ने कालका-शिमला रेलवे ट्रैक के साथसाथ उस इलाके में पर्यावरण बचाने की दिशा में एक अनूठी पहल कर रहा है. रेलवे की अनुमति और साहित्यकारों की संयुक्त पहल से 21 जुलाई को तारादेवी से समरहिल रेलवे ट्रैक पर अपनी तरह की एक पर्यावरण संरक्षण पैदल यात्रा आयोजित की गई है, जिसमें अब तक 50 से भी अधिक लेखक-साहित्यकारों ने अपनी भागीदारी की सूचना दी है. वरिष्ठ साहित्यकार एसआर हरनोट के मुताबिक इस आयोजन में भाग लेनेवाले लेखक साहित्यकार 21 जुलाई की सुबह पुराना बस स्टैंड पर मिलेंगे और बस से तारादेवी रेलवे स्टेशन के लिए प्रस्थान करेंगे. चायपान के उपरांत वहां पैदल यात्रा 9 बजे शुरू होगी. अगला पड़ाव जतोग स्टेशन होगा. समरहिल 12 बजे के करीब पहुंचेंगे जहां पौधरोपण करेंगे. रास्ते में रेलवे ट्रैक के आसपास की सफाई के अतिरिक्त खाली जगहों पर पौध व बीजरोपण भी करेंगे. समरहिल में 1 से 3 बजे तक साहित्य गोष्ठी होगी और दोपहर का भोजन भी. सदस्य चाहेंगे तो गोष्ठी का दूसरा सत्र भी किया जा सकता है.
हरनोट के अनुसार पर्यावरण को समर्पित हमारा यह प्रयास समुद्र में एक बूंद डालने जैसा है, लेकिन इन्हीं बूंदों से घड़ा भी भर जाता है. आज का समय पर्यावरण विनाश का सबसे खतरनाक समय है और बाहर की अपेक्षा हमारे भीतर का पर्यावरण ज्यादा प्रदूषित हो रहा है. इस यात्रा को करने का उद्देश्य बाहर व भीतर के प्रति अपने साथ साथ आमजन को जागरूक करना भी है और आपसी स्नेहभाव व भाईचारे को भी बचाये रखना है. इस यात्रा में बच्चों और युवाओं के साथ वरिष्ठतम पीढ़ी के लेखक व बुद्धिजीवी शामिल हैं. यात्रा के संयोजन में संजय गेरा का विशेष सहयोग है, जो समर हिल स्टेशन पर अधीक्षक हैं. अभी तक स्वीकृत लेखकों के अलावा कोई भी लेखक इस अभियान में अपनी भागीदारी दे सकता है. हमारे ये छोटे -छोटे प्रयास पर्यावरण व साहित्य को बचाये रखने में मील का पत्थर साबित होंगे, हम इसी सोच के साथ कार्य कर रहे हैं. यह आयोजन सभी सदस्यों के आपसी अंशदान से हो रहा है. सरकारी या गैर सरकारी अनुदान जैसे शब्दों को हम सभी ने अपने शब्दकोश से निकाल दिया है.