सियालदाह: नीलांबर कोलकाता द्वारा स्थानीय रेलवे आफिसर्स क्लब के मंथन सभागार में ‘एक सांझ कविता की’ कार्यक्रम के दसवें संस्करण का आयोजन हुआ. जिसमें हरिओम राजोरिया, रश्मि भारद्वाज, यतीश कुमार, संध्या नवोदिता और उत्कर्ष ने अपनी कविताएं सुनाईं. कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और नीलांबर कोलकाता की अध्यक्ष पूनम सिंह के स्वागत भाषण से हुआ. उन्होंने कार्यक्रम की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘नीलांबर’ नाम को हम पिछले 25 वर्षों से जी रहे हैं. हम साहित्य को लोकप्रिय बनाने हेतु विभिन्न आयामों पर लगातार काम कर रहे हैं. हमारी यात्रा विविध रही. हमारी इस यात्रा से लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया. स्वागत उद्बोधन के पश्चात नीलांबर की सहयोगी संस्था ‘लोकरंगी’ के अंतर्गत उदय प्रकाश के गीत ‘हम हैं ताना, हम हैं बाना’ का गायन संस्था के पूर्व सचिव ऋतेश पांडे और नीलांबर के साथी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया. उत्कर्ष की कविताएं युवा मन की संघर्षशील अपेक्षाओं को रेखांकित कर रहीं थीं, वहीं संध्या नवोदिता की ‘सुनो जोगी’ की कविताएं प्रेम के गहन, गूढ़ और संवेदनशील पक्ष को प्रस्तुत करने वाली थीं.
रश्मि भारद्वाज की कविताओं में नारी विमर्श और नारी सशक्तीकरण का स्वर मुखर था, जो मन को उद्वेलित कर रहा था. यतीश कुमार ने किन्नर, पिता और अभया को समर्पित कविताएं सुनाईं, जिसे सुनाने के दौरान कवि और श्रोता दोनों ही भावुक हो गए. हरिओम राजोरिया ने अपनी कविताएं प्रस्तुत करने से पहले बड़े सहज लहज़े में कहा कि मैं छोटे से शहर से आया हूं और महानगर में कविता सुना रहा हूं, मेरी कविताओं के बिंब देशज हैं, पता नहीं आप कितना जुड़ पाएंगे कविताओं से लेकिन उनकी हर कविता ने सभागार में उपस्थित सभी श्रोताओं की खूब तालियां बटोरीं. उनकी कविताओं में एक प्रभावशाली और सशक्त अभिव्यक्ति थी, जिसमें अपने आसपास के माहौल को बदलने की छटपटाहट देखने को मिलीं. ‘एक सांझ कविता की’ कार्यक्रम का एक आकर्षण युवा नृत्यांगना उज्जैनी सरकार और सागरिका अड्डी की जोड़ी द्वारा अनामिका की कविता ‘जन्म ले रहा एक नया पुरुष’ पर आधारित नृत्य की प्रस्तुति थी. महादेवी वर्मा की कविता ‘मैं नीर भरी दुःख की बदली’ का गायन चयनिका दत्ता ने किया. संस्था के सचिव आनंद गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का समापन ऋतेश पांडे और नीलांबर के साथी कलाकारों द्वारा सोहर की धुन पर आधारित एक व्यंग्य गीत, अरे अइसन मनोहर मंगल… मूरत सुहावन सुंदर… सूरत हो… ए राजा जी… की प्रस्तुति के साथ हुआ.