नई दिल्ली: “आज का भारत संभावनाओं के अनंत क्षितिज में नए अवसर तलाश रहा है. आज का नया भारत विकास और टेक्नोलाजी में केवल बाकी दुनिया की बराबरी करके संतुष्ट नहीं हो सकता. नया भारत अपने वैज्ञानिक अनुसन्धानों से मानवता की सेवा को अपनी जिम्मेदारी मानता है.” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगभग 130 करोड़ रुपये की लागत वाले तीन परम रुद्र सुपरकंप्यूटर राष्ट्र को समर्पित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि ये हमारा दायित्व है ‘अनुसंधान से आत्मनिर्भरता‘, आत्मनिर्भरता के लिए विज्ञान‘, आज ये हमारा मंत्र बन चुका है. इसके लिए हमने डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, मेक-इन इंडिया जैसे कई ऐतिहासिक अभियान शुरू किए हैं. भारत की फ्यूचर जनरेशन में साइंटिफिक टेंपर मजबूत हो… इसके लिए स्कूलों में 10 हजार से ज्यादा अटल टिंकरिंग लैब्स भी बनवाई गई हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि सुपर कंप्यूटर्स से हर क्षेत्र में नए शोध होंगे. इनसे नई संभावनाओं का जन्म होगा. इसका लाभ देश के आम लोगों को मिलेगा. वो बाकी दुनिया से पीछे नहीं होंगे, बल्कि कदम से कदम मिलाकर चलेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ने कहा कि आज ऐसा कोई सेक्टर नहीं, जिसमें भारत नए निर्णय नहीं ले रहा, नई नीतिया नहीं बना रहा. एक उदाहरण स्पेस सेक्टर का है. आज स्पेस सेक्टर में भारत एक बड़ी पावर बन चुका है. दूसरे देशों ने कई बिलियन डालर खर्च करके जो सक्सेस हासिल की, हमारे वैज्ञानिकों ने वही काम सीमित संसाधनों में करके दिखाया है. अपने इसी जज्बे को लेकर भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना है. इसी संकल्प को लेकर भारत अब मिशन गगनयान की तैयारी कर रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का मिशन गगनयान केवल अंतरिक्ष तक पहुंचने का नहीं, बल्कि हमारे वैज्ञानिक सपनों की असीम ऊंचाइयों को छूने का मिशन है. आपने देखा है, 2035 तक भारत ने अपने स्पेस स्टेशन को बनाने का लक्ष्य रखा है. अभी कुछ ही दिन पहले सरकार ने इसके पहले चरण को मंजूरी दे दी है. उन्होंने कहा कि कोई भी देश बड़ी उपलब्धियां तब हासिल करता है, जब उसका विज़न बड़ा होता है. भारत का सुपर-कम्प्युटर से लेकर क्वांटम कम्प्युटिंग तक का सफर, इसी बड़े विज़न का परिणाम है.