नई दिल्लीः 'कलाकारों को बिना संघर्ष के कभी सम्मान नहीं मिला. पुराने जमाने में आज जैसा इंटरनेट मीडिया का माध्यम नहीं था. जिस वजह से बड़े-बड़े कलाकारों की पहुंच सीमित लोगों तक ही होती थी. लेकिन आधुनिक कलाकारों को बहुत ही कम समय में इंटरनेट मीडिया से हजारों, लाखों लोगों तक पहुंचने अवसर मिल जाता है. यह कला के प्रचार-प्रसार का अच्छा माध्यम है.' पद्मविभूषण से सम्मानित प्रसिद्ध नृत्यांगना डॉ सोनल मान सिंह ने लेखक विक्रम संपत की पुस्तक 'माई नेम इज गौहर जान, द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ ए म्यूजीशियन' के हिंदी अनुवाद 'मेरा नाम है गौहर जान' के विमोचन अवसर पर त्रिवेणी कला संगम स्थित सभागार में यह बात कही. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक नए गीतकारों और कलाकारों के लिए प्रेरणा देने का काम करेगी. अंशुमान पांडेय और अंशुमान जैन द्वारा हिंदी में अनूदित इस पुस्तक का प्रकाशन ज्ञानपीठ प्रकाशन से हुआ है. इस अवसर पर पद्मभूषण पं साजन मिश्र और पद्मश्री मालिनी अवस्थी की गरिमामय उपस्थिति रही.
विमोचन समारोह प्रभा खेतान फाउंडेशन की किताब शृंखला के तहत आयोजित हुआ. इस अवसर पर चर्चित लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने कहा कि कैसी विडंबना है कि आज पुस्तक का विमोचन अंशुमान पांडेय के जाने के बाद हो रहा है. लेकिन लेखक कहीं नहीं जाता है, वह अमर है, उनकी खुशबू हमेशा महकती रहती है. यह पुस्तक 19वीं सदी की मशहूर कलाकार गौहर के जीवन पर आधारित है, जो अपने जमाने की एक मशहूर तवायफ़ थीं. वह ध्रुपद, ख़याल, ठुमरी और बंगाली कीर्तन में निपुण थीं. उन्होंने गायन का प्रशिक्षण था. पुस्तक में गौहर जान किस तरह भारतीय शास्त्रीय संगीत के शिखर पर पहुंची और महज 13 साल की उम्र में हुए दुष्कर्म के बाद भी यह खौफनाक हादसा उन्हें आगे बढ़ने से रोक नहीं पाया, और इस सदमे से उबरते हुए वह कैसे संगीत की दुनिया का एक बेहद नामचीन सितारा बन गईं, जैसी सभी घटनाओं का उल्लेख है. कार्यक्रम में साहित्य, लेखन और कला जगत की कई हस्तियां मौजूद थीं. पुस्तक विमोचन के बाद मालिनी अवस्थी के गायन का भी कार्यक्रम हुआ।
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