नई दिल्ली: “भारत खुद को विश्व मित्र के रूप में स्थापित कर रहा है और हम और अधिक लोगों के साथ मित्रता करना चाहते हैं. इस दृष्टिकोण से भारत के प्रति सकारात्मकता बढ़ रही है.” विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह बात श्रीराम चौलिया की पुस्तक’ फ्रेंड्स: इंडियाज क्लोजेस्ट स्ट्रैटेजिक पार्टनर’ के विमोचन के दौरान कही. उन्होंने कहा कि दोस्ती कभी अनन्य नहीं होती खासकर आज की बहुध्रुवीय दुनिया में. उन्होंने कहा कि दोस्ती हमेशा सीधी और सरल नहीं होती. उनके शब्द थे, ‘एक अपूर्ण और प्रतिस्पर्धी वैश्विक व्यवस्था में, हमें मित्रों के बारे में विचार करने की जरूरत है.’ विदेश मंत्री ने कई देशों के साथ भारत के संबंधों का उल्लेख किया. उन्होंने दावा किया कि यह भारत के वैश्विक भलाई में योगदान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ घनिष्ठ संबंधों का परिणाम है. उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि कभी-कभी दोस्तों के दूसरे दोस्त भी होते हैं, जो जरूरी नहीं कि हमारे भी दोस्त हों और यह पुरानी और नई विश्व व्यवस्था के बीच का अंतर दिखा सकता है.
विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ भारत के संबंधों को उल्लेख करते हुए कहा कि ये देश इतिहास की झिझक को दूर करने के उदाहरण हैं. इसके साथ ही उन्होंने भारत के रूस और फ्रांस के साथ संबंधों को बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ती व्यवस्था के रूप में वर्णित किया. विदेश मंत्री ने कहा कि दोस्ती तब बढ़ती है, जब हित जुड़े होते हैं. उन्होंने कहा कि भावनाएं और मूल्य महत्त्वपूर्ण होते हैं, लेकिन संबंध मुख्यतः साझा हितों पर आधारित होते हैं. भारत जैसे बड़े देश के लिए दोस्ती बढ़ाना कभी आसान नहीं होता. उन्होंने कहा कि हमारे पास कुछ मित्र अधिक जटिल हो सकते हैं, और सभी के साथ आपसी सम्मान और कूटनीतिक शिष्टाचार साझा नहीं होता. विदेश मंत्री ने कहा कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे मुद्दे हमेशा महत्त्वपूर्ण होते हैं. उन्होंने कहा कि दोस्ती की विशेषता है कि वह आपसी सम्मान, समझदारी और साझा हितों के आधार पर होती है.