नई दिल्लीः राजनीतिज्ञ मनीष तिवारी ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुए एक कार्यक्रम में मलय चौधरी, डॉ. अरिंदम चौधरी और चे कबीर चौधरी की लिखी पुस्तक 'व्हॉट मार्क्स लेफ्ट अनसेड-प्रॉडक्शन ऑफ स्किल्स बाई मीन्स ऑफ स्किल' का विमोचन किया. यह किताब आर्थिक न्याय के सिद्धांत पर आधारित है, जो शोषण मुक्त समाज की जबर्दस्त वकालत करती है. इस किताब के मुताबिक समाज में सबसे ज्यादा तनख्वाह और सबसे कम सैलरी में ज्यादा से ज्यादा वेज रेश्यो 3:1 होना चाहिए. इस पुस्तक का विमोचन क्रमश: कार्ल मार्क्स की 200वीं और आईएलओ की 100वीं जन्मशती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया. किताब में यह बताया गया है कि मनुष्य को अपनी कौशल और काबिलियत के अनुसार क्यों कमाना चाहिए, जिससे समाज के प्रति उसके योगदान की क्षमता तय होती है. कौशल को निष्पक्षता से मापा जाना चाहिए. इसके लिए हमें अपने में कोई न कोई कौशल विकसित करने के लिए दो काम करने चाहिए. पहली, ऐसे किसी काम, जिनमें स्किल की जरूरत न हो, की कुर्बानी देने या उसे न करने के लिए हम तैयार रहें, जो हर व्यक्ति करने में समर्थ है. दूसरे किसी ट्रेनर से किसी कौशल के विकास का पर्याप्त प्रशिक्षण लेना.
आईआईपीएम के संस्थापक निदेशक डॉ. मलय चौधरी ने समानता के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि निष्पक्ष और भेदभाव रहित समाज के लिए किसी भी व्यक्ति को किसी भी अन्य व्यक्ति की तुलना में तीन गुना से ज्यादा वेतन क्यों नहीं देना चाहिए. डॉ. अरिंदम चौधरी ने खुलासा किया कि समाज में शिक्षा मुफ्त होनी चाहिए. मार्केट में कुछ लोग दूसरों से ज्यादा वेतन लेने में इसलिए सक्षम नहीं हो पाते क्योंकि उनके पास स्किल्स नहीं होतीं. आवश्यक रूप से यह तब तक होता ही रहेगा, जब समाज के एक हिस्से को गरीब और हाशिए पर रखा जाएगा. चे कबीर चौधरी ने कहा कि किताब के लेखन में उनकी भूमिका काफी संक्षिप्त थी. उनके मुताबिक इस किताब की थ्योरी ही उनके अस्तित्व का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह पुस्तक तीन पीढ़ियों के लेखकों ने मिलकर लिखा है.