नई दिल्ली: केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के दिल्ली स्थित क्षेत्रीय कार्यालय ने लोधी रोड स्थित सीजीओ काम्प्लेक्स में पंडित दीनदयाल अंत्योदय भवन में एक संवाद सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मेलन का उद्देश्य सिनेमाघरों में सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए फीचर फिल्मों में सुगम्यता मानक लागू करने पर चर्चा करना था. कार्यक्रम में फिल्म आवेदकों, फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों, तकनीकी सेवा प्रदाताओं और एसोसिएशन फार द ब्लाइंड और सक्षम एनजीओ के प्रतिनिधियों जैसे दिव्यांगता सेवा को समर्पित संगठनों सहित हितधारकों के एक विविध समूह ने हिस्सा लिया. सीबीएफसी दिल्ली के क्षेत्रीय अधिकारी महेश कुमार ने अन्य प्रतिभागियों के साथ मिलकर दृष्टि और श्रवण बाधित दिव्यांग दर्शकों के लिए समावेशिता सुनिश्चित करने हेतु अनिवार्य सुलभता सुविधाओं को शामिल करने पर केंद्रित चर्चा की. भारतीय सांकेतिक भाषा व्याख्या के इस्तेमाल के जरिए ये सम्मेलन सभी प्रतिभागियों के लिए विशेष रूप से सुलभ था, जो शुरू से ही समावेशिता के प्रति प्रतिबद्धता दिखलाता है. कुमार ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए नए विनियामक ढांचे की रूपरेखा प्रस्तुत की, जो अधिक सुलभ सिनेमा की ओर बदलाव की दिशा दिखलाएगा.

कुमार ने दर्शक आधार को व्यापक बनाने और दिव्यांगों के देखने के अनुभव को बेहतर करने में इन मानकों के महत्त्व पर जोर दिया. उन्होंने इन सुविधाओं को लागू करने के लिए सहानुभूतिपूर्ण और विचारशील नजरिए को भी प्रोत्साहित किया. एसोसिएशन फार द ब्लाइंड के अध्यक्ष एएस नारायणन ने सिनेमा को अधिक ज्यादा अनुभव बनाने में सुलभता मानकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया. तकनीकी चर्चाओं में आडियो विवरण, क्लोज कैप्शन और अन्य सहायक प्रारूपों को मुख्यधारा की फिल्मों में एकीकृत करने के लिए व्यावहारिक कदमों और व्यवहार्य तकनीकों पर चर्चा की गई. फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों ने इन दिशा-निर्देशों को अपनाने के लिए अपनी उत्सुकता दिखाई. इसमें विस्तारित दर्शकों के संभावित लाभों और इन बदलावों को लागू करने के वित्तीय निहितार्थों को स्वीकार किया गया. उनकी ये भागीदारी इस सुलभता के प्रति उद्योग की बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाती है. सम्मेलन में ओजस्वी शर्मा की बहु-समावेशी फिल्म ‘रब्ब दी आवाज़’ के दृश्यों को प्रदर्शित किया गया. ये इस बात की मिसाल है कि समावेशिता को फिल्म निर्माण में प्रभावी रूप से कैसे एकीकृत किया जा सकता है. इन सुलभता मानकों के सफल क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों के बीच सहयोग की जरूरत पर आम सहमति के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.